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________________ उपात्तप्रमाणानि पु. सं. पङ्क्ति सं. धन्यं तदेव लग्नं (स) .. 618 धन्यं यशस्यमायुष्यं (आ) . 61 19 धर्मसंस्थापनार्थाय (स) गी 4-8 धाता पुरस्ताद्यमुदाजहार (आ) पु. सू. .... 49 18 धातुः प्रसादात् (स) श्वे. 3-20, म. ना. 8-3. ... 326 ध्यायतेऽध्यासिता तेन (स) आथर्वणिकी (मन्त्रिकोप 3 निषत् ) न कर्मणा वर्धते (आ) बृ 4-4-23 . न कर्मणा वर्धते नो कनीयान् (स) बृ 4-4-23 .. न किरिन्द्र त्वदुत्तरः (स) ऋक्सं. 3-6-19-1 . 54 132 67 300 12 61 .. 45 277 47 न चानषेर्दर्शनमस्ति किंचित् (स) ___ .... 123 न जायते (आ) क 2-18 .... 119 14 न तत्समश्चाभ्यधिकश्च दृश्यते (स) श्वे. 6-8 .... न तस्य प्राकृता मूर्तिः (स) व. पु. 31-40 ... न ते रूपं न चाकारः (स) जितन्ते स्तो. ... 292 10 न त्वत्समस्त्वभ्यधिकः कुतोऽन्यः (स) गी. 11-43 न त्वेवाहं जातु नासं (स) गी. 2-12 .... 1237 न दिवा न रात्रिः (स) श्वे. 4-18 .... 43 नपुंसकमनपुंसकेन (आ) पा. सू. 1-2-69 न ब्रह्मा नेशानः (स) म. ना. 1 ..... 435 नमस्ते अस्तु मा मा हिग्सीः (स) 5211 न मे पार्थास्ति कर्तव्यं (स) गी. 3-2' . . 539 न लिप्यते कर्मफलैः (स) मो ध. . 173 10 222
SR No.010565
Book TitleTattvarthamuktakalap and Sarvarthasiddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVedantacharya
PublisherSrinivasgopalacharya
Publication Year1956
Total Pages426
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size42 MB
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