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________________ 37 231 . 58 58 उपात्तप्रमाणानि पु. सं. पङ्क्ति सं. , (आ) .. 27422 अश्वमेधशतैरिष्टा (आ) इ. स. 33-180 .... 53 17 असदेवेदमग्र आसीत् (आ) छा. 3-19-1 ... 180 23 असाधारणं तु त्रिविधम् (आ) वरदराजीयम्। अस्तु मा मा हिग्सीः (आ) . . 52 19 अस्मान्मायी सृजते विश्वमेतत् (स) श्वे. 4-9 ... 1729 , (आ) .... 174 अहं वासुदेवः (स) ब्र. बि 22 अहं वासुदेव इति सततं (आ) ब्र. बि. 22 अहमर्थो द्विविधो जीवरूपः (आ) 129 अहमिमास्तिस्रो देवताः (स) छा. 6-3-2 259 आ आकाशमेकं हि यथा (स) या. स्मृ. प्रा. 144 आकाशाद्वायुः (आ) तै. 2-1-1 .... 305 15 आगमेनानुमानेन (स) यो. सू . भा. 1-48 ___.... 113 12 आजसेरसुक् (आ) पा. सू . 7-1-50 .... 274 16 आज्यैः स्तुवते (आ) ... 189 14 आत्मन आकाशस्संभूतः (आ) तै. 2-1-1 ... 305 14 आत्मनो वै शरीराणि (स) .. 1348 आत्म (न्ये) नैवात्मानं (परमं ब्रह्म) पश्यति (स) । नृ. उ. 5. आत्मा वाऽरे द्रष्टव्यः (स) बृ. 2-4-5 ... 219 17 आत्मेति तूपगच्छन्ति (आ) ब्र. सू. 4-1-3 आत्मेश्वरं (स) म. ना. 11-3 आत्मैवेदं सर्व (स) छा. 7-25-2 ..... 2454 आदित्यवर्ण तमसः परस्तात् (स) श्वे. 3-8 273 आदित्यो यूपः (स) 243 10 आनन्द नाम तल्लोकं (आ) .... 281 15 136 ___.. 62
SR No.010565
Book TitleTattvarthamuktakalap and Sarvarthasiddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVedantacharya
PublisherSrinivasgopalacharya
Publication Year1956
Total Pages426
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size42 MB
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