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________________ समूल' ३२० (अष्टाध्यायी) सवण "समूल ३.४.37 समूह ४.२.३७, १४०. समूहवत् ५.४.२३ समूह्य ३.१.१३१ 'समृद्धि° २.१.६. संपत्ति २.१ ६. संपद् ५.५०, ५३ संपादि६२.१५५ संपादिन ५.१.९९. संपृच ३.२.१४२ संप्रदान (पा. श.) १.४.३२, सरूप १.२.६४, २.२७. "सर्ग १.३.२८ सर्ति (पा श.) ३.२.१५, ३.७१ सर्ति (पा. श.) ३.१.५६. "सर्ति (पा. श.)३.२.१६३. सर्ति (पा. श.) ७.३.७८. सर्व (स ना.) सर्वम् ४३.१००, ६.२.९३, १०५ सर्वै १.२.७२, ८.११८. सर्वस्य १.१.५५, ५.३.६, ६.१.१८७, ८१.१ सर्वेभ्य ३.३.२०. सर्वेषाम् ६.३.४८, ७.३.१००, ८.३.२२. सर्व ३.२.४२,४४.१४२, ५.१.१०, ३.१५ सर्व ३.२.४१. "सर्व २.१४९,३.२.४८,५.४.८७,७.३.१२. सर्वचर्मन ५.२.५. सर्वत्र (अ.) ४.१.१८, ३.२२, ६.१.१२०, ४, २.३.१३, संप्रश्न ३.३.१६१. संप्रसारण (पा. श.) १.१.४५, ३.३.७२, ५.२.५५, ६.१.१३, १२, १७.१०६. ३.१३८, .१३१, ७.४.६७. °संबन्ध ६.२.२२ संबुद्धि (पा. श.)१.१.१६, २.३३; २.३.४९, ६.१.६५, ७.१.९९, ३.११६, ८.३.१. 'संबुद्धि (पा.श.) ८.२.८. संबोधन (पा. श.) २.३.४७, ३.२.१२५. संभावन ३.३.१५४, ६.२.२१. संभावनवच. ३.३.१५५. संभूत ४.३.४१. संमति' ८.१.८, २.१०३ संमद ३.३.६०. संमानन° १.३.३६, ७०. 'संमित ४.४.९१. संमिति ४..१३५. 'संमुख ५.२.६. 'सय (धा.) ८.३.७०. 'सयूथ ४..११४. 'सर° ७.२.९. 'सरजस° ५.४.७७. 'सरस् ५.४ ९. सरीसृपतम् ७.४०६५. सर्वधुर ४.४.७८. सर्वनामन् (पा. श.) १.१.२७, २.३.२७, ६.३.९०,७.१.११, ५२, ३.११४. सर्वनामन् (पा. श.) ५.३.७१. सर्वनामन्' (पा. श.) ५.३.२. सर्वनामस्थान (पा. श.) १.१.४२,६.१.१९५, .८,७.१.७०, ८६. सर्वनामस्थान (पा. श.) ७.३.११०. सर्वभूमि ५-१.४१. °सर्वलोक ५.१.४. सर्वादि (ग.) १.१.२७, ५.२.७. सर्वान्न ५२.९. सर्वान्यत् ८.१.५१. सलोप ३.१११, ७.२.७९. 'सवनादि ८.३.११.. सवर्ण (पा. श) १.१.९, ६९, ६.१९९७
SR No.010557
Book TitlePaniniyasutra Pathasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri
PublisherBhandarkar Prachya Vidya Sanshodhan Mandir
Publication Year1935
Total Pages737
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size54 MB
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