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________________ २६-ब्रह्मचर्य समाधि के स्थान मन, वचन, और काय से ब्रह्मचर्य किस तरह पाला जा सकता है उसके लिये १० हितकारी वचन-ब्रह्मचर्य की क्या आवश्यकता है ? ब्रह्मचर्य पालन का फल-आदि का विस्तृत वर्णन । १७-पापश्रमणीय पापी भ्रमण किसे कहते हैं ? श्रमण जीवन को दूषित करने वाले सूक्ष्मातिसूक्ष्म दोपों का भी चिकित्सापूर्ण वर्णन । १८-संयतीय १७२ . कंपिला नगरी के राजा संयति का शिकार के लिये उद्यान में जाना-एक छोटे से मौज मजा में पश्चात्ताप का होना-गर्दभाली मुनि के उपदेश का प्रभाव-संयतिराजा का गृहत्याग-संयति तथा क्षत्रिय मुनिका समागम-जैन शासन की उचमता किसमें हैशुद्ध अन्तःकरण से पूर्व जन्म का स्मरण होना-चक्रवर्ती की मनुपम विभूति के धारक अनेक महापुरुषों का भात्मसिद्धि के लिये त्यागमार्ग का अनुसरण तथा उनकी नामावली । १६-मृगापुत्रीय १८८ सुग्रीवनगर के बलभद् राजाके तरुण युवराज मृगापुत्र को एक मुनि के देखने से भोगविलासों से वैराग्यभाव का पैदा होनापुत्र का कर्तव्य-माता पिता का वात्सल्य-दीक्षा लेने के लिये आज्ञा प्राक्ष करते समय उनकी तात्विक चर्चा-पूर्व जन्मों में नीच गतियों में भोगे हुए दुःखों की वेदना का वर्णन-आदर्श त्याग ग्रहण । २०-महानिग्रंथीय २०७श्रेणिक महाराज और अनाथी मुनि का आश्चर्यकारक संयोग- मशरण भावना-भनाथता तथा सनाथता का वर्णन-कर्मका कर्ता
SR No.010553
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyachandra
PublisherSaubhagyachandra
Publication Year
Total Pages547
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size17 MB
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