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________________ समाचारी ३०३ टिप्पणी- इस प्रकार रात्रि प्रतिक्रमण के ६ आवश्यक ( विभागों ) की क्रिया पूर्ण हुई । ( २३ ) इस प्रकार दस प्रकार की समाचारी का वर्णन संक्षेप में किया है जिनका पालन कर बहुत से जीव इस भवसागर को पार कर गये हैं । टिप्पणी-- भसावधानता विकास ( उन्नति ) को रोकनेवाली है । चाहे जैसी भी सुन्दर क्रिया क्यों न हो किन्तु अव्यवस्थित हो तो उसकी कुछ भी कीमत नहीं है । व्यवस्था और सावधानता इन दोनों गुणों से मानसिक संकल्प का वज्रं बढ़ता है । संकल्पबल बढ़ने से संकटों तथा विघ्नां के बल परास्त होते हैं और अन्त में लक्ष्यसिद्धि होती है । f ऐसा मैं कहता हूँ - इस तरह “समाचारी" सम्बन्धी छब्बीसवां अध्ययन समाप्त हुआ ।
SR No.010553
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyachandra
PublisherSaubhagyachandra
Publication Year
Total Pages547
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size17 MB
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