SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 366
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २९४ उत्तराध्ययन सूत्र A wwwwwwwwwwwwwwwwwwww प्रहर में भिक्षाचरी, और चौथे प्रहर में स्वाध्यायादि कृत्य करे। टिप्पणी-" आदि" शब्द से पहिले तथा अन्तिम प्रहरों में प्रतिलेखन तथा शौचादि क्रियाओं का समावेश किया है। (१३) आपाढ़ मास में दो कदम, पौप मास में चार कदम और चैत्र तथा प्रासोज (कुंग्रार ) महीने में तीन कदम पर पोरसी होती है। टिप्पणी-पोरसी अर्थात् प्रहर । सूर्य की छाया पर से काल का प्रमाण मिले उसके लिये यह प्रमाण बताया है। (१४) उपरोक्त चार महीनो के सिवाय दुसरे पाठ महीनों में प्रत्येक सात दिन रात ( सप्ताह ) में एक एक अंगल, और एक पक्ष ( पन्द्रह दिनों) में दो दो अंगुल, और प्रत्येक महिने में चार चार अंगल प्रत्येक प्रहर में छाया घटती बढ़ती है। टिप्पणी-श्रावण वदी प्रतिपदा से पोप सुदी पूर्णिमा तक छाया बढती है और माह पदी प्रतिपदा से आपाढ सुदी पूर्णिमा तक छाया घटती है। किन किन महिनों में तिथियां घटती हैं ? (१५) श्रापाद, भाद्रपद, कार्तिक, पौष, फालगन और वैशाख इनः सब महिनों के कृष्ण पक्ष में १-१ तिथि घटती है। टिप्पणी-उपरोक्त रहों महीने २९-२९ दिन के होते हैं। इनके अतिरिक्त के महीने ३०-३० दिन के होते हैं । इस गणना से चांद्र वर्ष में कुल ३५४ दिन होते हैं।
SR No.010553
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyachandra
PublisherSaubhagyachandra
Publication Year
Total Pages547
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy