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________________ आमुख अजमेर अधिवेशन के समय भमरेली निवासी श्रीमान् सेठ हंसराज भाई लक्ष्मीचंदनी ने धार्मिक ज्ञान के प्रचार के लिये और आगमोद्धार के लिये अपनी कान्फरेन्स को १५०००) की रकम अर्पण की थी। इस फंड की योजना उसी समय लेन प्रकाश में प्रगट हो गई थी। उस फंड में से यह प्रथम पुस्तक प्रकाशित की जाती है। लघुगतावधानी पंडित श्री सौभाग्यचंदजी महाराज ने अपने आगमों का गुजराती अनुवाद प्रगट करने का शुभकार्य शुरु कर दिया है। और उसका प्रकाशन श्री महावीर साहित्य प्रकाशन मंदिर अहमदाबाद की तरफ से सुचारुरुप से हो रहा है। अपने आगमों का सरल एवं सुंदर गुजराती अनुवाद सस्ते साहित्य के रूप में निकाल कर धार्मिक ज्ञान के प्रचार की इस सुन्दर योजना का लाभ हिन्दुस्थान के अन्य जैनी बन्धुओं को मिले। इस शुभाशय मे, इस योजना द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का हिन्दी अनुवाद.श्री. हंसराज जिनागम समिति ने प्रकाशित करने का निर्णय किया है। इस हिन्दी अनुवाद को भी यथाशक्ति सरल और भाववाही बनाने का प्रयत्न किया गया है। पुस्तक की कीमत करीव लागत के बराबर ही रक्खी गई है। इसके बाद श्री दशवकालिक सूत्र का अनुवाद प्रकाशित किया जायगा। आशा है कि जिस धर्म भावना से श्री हंसरान भाई ने यह योजना की __ है, उसका पूर्ण सदुपयोग होगा। सेवक चमनलाल चकुभाई .: संहमन्त्री श्री श्री मा श्वे. स्था. जैन कान्फरेन्स
SR No.010553
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyachandra
PublisherSaubhagyachandra
Publication Year
Total Pages547
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size17 MB
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