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अध्याय
तरा०
| नदियां उत्तरोत्तर क्रमसे आधी आधी कम हैं । अर्थात्-गंगामें चौदह हजार नदियां छोटी छोटी आकर भाषा ॥४॥
मिली हैं उसीप्रकार सिंघूमें भी चौदह हजार नदियां मिली हैं । रोहित रोहितस्याकी परिवार नदियां अट्ठाईस अट्ठाईस हजार हैं। हरित और हरिकांताकी छप्पन छप्पन हजार हैं। सीता और सीतोदाकी है। एक लाख बारह हजार हैं । इससे उत्तरके तीन क्षेत्रोंकी क्रमसे दक्षिणके तीन क्षेत्रों के समान परिवार नदियां हैं अर्थात् नारी नरकांताकी छप्पन छप्पन हजार, सुवर्णकूला और रूप्यकूलाकी अट्ठाईस अट्ठाईस हजार और रक्ता रक्तोदाकी चौदह चौदह हजार परिवार नदियां हैं॥२३॥
जम्बूद्वीपकी चौडाई, समुद्र सरोवर नदियां पर्वत और क्षेत्रोंकी रचनाका वर्णन कर दिया गया | अब यहांपर यह बतलाना चाहिये कि भरत आदि जो ऊपर क्षेत्र कहे गये हैं उनका विस्तार समान है ||६|| |कि भेद है ? इसलिये सूत्रकार उस विस्तारके भेदका प्रदर्शन करते हैंभरतः षड्विंशतिपंचयोजनशतविस्तारः षट् चैकान्नविंश
तिभागा योजनस्य॥२४॥ भरतक्षेत्र दक्षिण उत्तरमें पांचसौ छब्बीस योजन और एक योजनके उन्नीसवे भागमेंसे छह भाग अर्थात् र योजन अधिक विस्तारवाला है।
षडधिका विंशतिः षविंशतिः, षड्विंशतिरधिका येषु तानिषड्विंशानि । षड्विशानि पंचयोजन|| शतानि विस्तारोऽस्य स षड्विंशतिपंचयोजनशतविस्तारः, यहाँपर यह षड्विंशतिपंचयोजनशतविस्तार ||
शब्दका विग्रह है अर्थात् भरतक्षेत्र पांच सौ छब्बीस योजन और एक योजनके उन्नीस भागोंमें छह भाग प्रमाण है॥२४॥
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