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KHERAIBARSIO
क्षेत्रोंको धारण करनेवाले पर्वत कहते हैं। इस भरत क्षेत्र और हैमवत क्षेत्रके वीचमें हिमवान पर्वत है। इसप्रकार सातों क्षेत्रोंके वीचमें छह पर्वत हैं जो षट्कुलाचलोंके नामसे प्रसिद्ध हैं।
तानि विभंजति इत्येवंशीला तद्विभाजिनः' अर्थात् क्षेत्रोंका विभाग करना ही जिनका स्वभाव है, यह तद्विभाजी शब्दका अर्थ है । पूर्वापराभ्यामायताः पूर्वापरायताः पूर्व और पश्चिम लंबे हैं अर्थात् | अपने पूर्व और पश्चिम दोनों ओरके अग्रभागसे लवण समुद्रका स्पर्श करते हैं। तथा ये हिमवान आदि कुलाचल भिन्न भिन्न रूपसे भरत आदि क्षेत्रोंको धारण करते हैं इसलिये भरत आदि क्षेत्रों के विभाजन होनेके ही कारण इनका वर्षघर नाम है । प्रश्न-हिमवान पर्वतकी हिमवान संज्ञा कैसे है। उत्तर- .
हिमाभिसंबंधाद्धिमवद्व्यपदेशः॥१॥ हिम (वरफ) जिसपर हो वह हिमवान् है इसप्रकार वर्फके संबंधसे पर्वतका नाम हिमवान है। शंका-हिम तो अन्य पर्वतों पर भी है इसलिये हिमके संबंधसे उन्हें भी हिमवान कहना होगा ? सो ठीक नहीं। रूढिकी विशेषतासे हिमवान् पर्वत संज्ञा है इसलिये हिमके संबंधसे वही हिमवान् कहा जा सकता है, अन्य नहीं । प्रश्न हिमवान् पर्वत कहां है । उत्तर
भरतहेमवतयोः सौमनि स्थितः ॥२॥ भरत और हैमवत क्षेत्रकी सीमामें क्षुद्र हिमवान् पर्वत है। हिमवानके आगे सूत्रमें महाहिमवान् शब्दका प्रयोग किया गया है इसलिये उस महाहिमवान् शब्दके प्रयोगसे इस हिमवान्की क्षुद्रहिमवान् १ संज्ञा मानी है। यदि यहांपर यह कहा जाय कि सूत्रमें तो क्षुद्रहिमवान् शब्दका प्रयोग है नहीं, फिर हिमवा-
न्के कहनेसे क्षुद्राहिमवान् कैसे समझाजा सकता है ? सो ठीक नहीं एक ही नामके धारक पदार्थों में यदि
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