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________________ -arcasRSORRUCARRORAMERICA और पक सागरके नौ भागोंमें सात भाग है। उत्कृष्टस्थिति पांच सागर और एक सागरके नौ भागोंमें - । दो भाग है। अजघन्योत्कृष्ट मध्यमस्थिति समयोत्तर है। छठे पाथडमें नारकियोंकी जघन्यस्थिति पांच 18/ अध्याय । सागर और एक सागरके नौ भागोंमें दो भाग है । उत्कृष्टस्थिति पांच सागर और एक सागरके नौ भागोंमें छह भाग है। अजघन्योत्कृष्टस्थिति समयोचर है। सातवें पाथडेमें नारकियोंकी जघन्यस्थिति पांच सागर और पक सागरके नौ भागोंमें छइ भाग प्रमाण है । उत्कृष्टस्थिति छह सागर और एक है * सागरके नौ भागोंमें एक भाग प्रमाण है। अजघन्योत्कृष्टस्थिति समयोचर है । आठवें पाथडेमें नार-है कियोंकी जघन्यस्थिति छह सागर और एक सागरके नौ भागोंमें एक भाग प्रमाण है । उत्कृष्टस्थिति 2 छह सागर और एक सागरके नौ भागोंमें पांच भाग है । अजघन्योत्कृष्टस्थिति समयोचर है । नववे ! पाथडेमें नारकियोंकी जघन्यस्थिति छह सागर और एक सागरके नौ भागोंमें पांच भाग है । उत्कृष्ट स्थिति सात सागरकी है । अजघन्योत्कृष्टास्थति समयोचर है। ____चौथे नरकमें सात पाथडे बतलाये गये हैं। उनमें पहिले पाथडेमें नारकियोंकी जघन्यस्थिति सात ६ सागरकी है । उत्कृष्ट सात सागर और एक सागरके सात भागोंमें तीन भाग है । अजघन्योत्कृष्ट है। मध्यमस्थिति समयोत्तर है । दूसरे पाथडे में नारकियोंकी जघन्यस्थिति सात सागर और एक सागरके है सात भागोंमें तीन भाग है। उत्कृष्टस्थिति सात सागर और एक सागरके सात भागोंमें छह भाग है। 12 अजघन्योत्कृष्ट मध्यस्थिति समयोचर है । तीसरे पाथडमें नारकियोंकी जघन्यस्थिति सात सागर । और एक सागरके सात भागोंमें छह भाग है । उत्कृष्टस्थिति आठ सागर और एक सागरके सात भागोंमें दो भाग है । अजघन्योत्कृष्ट मध्यमस्थिति समयोचर है । चौथे पाथडेमें नारकियोंकी जघन्य D24ISARSHA
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
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