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________________ अध्या UIDARSHANISECREGISTRUCREATENSAPNA आठ अंगुल है । चौथे पाथडेमें बाईस धनुष दो हाथ छह अंगुल और एक अंगुलके तीन भागोंमें दो भाग है । पांचवें पाथडेमें चौबीस धनुष एक हाथ पांच अंगुल और एक अंगुलके तीन भागोंमें एक है भाग है । छठे पाथडे में छब्बीस धनुष चार अंगुल है । सातवें पाथडेमें सचाईस धनुष तीन हाथ दो अंगुल और एक अंगुलके तीन भागोंमें दो भाग है । आठवें पाथडेमें उनतीस धनुष दो हाथ एक अंगुल और एक अंगुलके तीन भागों में एक भाग है । एवं नववे पाथडेमें नारकियों के शरीरकी उंचाई इकतीस धनुष और एक हाथ है। चौथे नरकमें सात पाथडे कहे गये हैं उनमें पहिले आर पाथडेमें नाराकियों के शरीरकी उंचाई है है पैंतीस धनुष दो हाथ बीस अंगुल और एक अंगुलके सात भागोंमें चार भाग है । दूसरे पाथडेमें चालीस है धनुष सत्रह अंगुल और एक अंगुलके सात भागोंमें एक भाग है। तीसरे पाथर्डमें चवालीस धनुष दो हाथ तेरह अंगुल और एक अंगुलके सात भागोंमें पांच भाग है । चौथे पाथडे में उनचास धनुष दश , अंगुल और एक अंगुलके सात भागोंमें दो भाग है। पांचवे पाथडेमें त्रेपन धनुष दो हाथ छह अंगुल और एक अंगुलके सात भागोंमें छह भाग है। छठे पाथडेमें अट्ठावन धनुष तीन अंगुल और एक अंगुलके सात भागोंमें तीन भाग है । सातवें पाथडेमें बासठ धनुष दो हाथ है। पांचवे नरकमें पांच पाथडे कह आये हैं। उनमें पहिले पाथडेमें नारकियोंके शरीरकी उंचाई पचहत्तर धनुष है । दूसरे पाथडे सतासी धनुष दो हाथ है। तीसरे पाथडेमें सौ धनुष है । चौथे पाथडेमें एकसौ वारह धनुष दो हाथ है । पांचवें पाथडे नारकियों के शरीर की उंचाई एकसौ पचास धनुष है। छठे नरकमें तीन पाथडे कहे गये हैं उनमें पहिले हिम पाथडेमें नारकियोंके शरीर की उंचाई URISMISHRRUPPSCIEFISTRESS F %
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
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