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________________ ब०रा० चरम शब्दका अर्थ अंतकी पर्याय है । जिन्होंने संसारकी यात्रा तय कर दी है और जो उसी मावा 8 पर्यायसे मोक्ष प्राप्त करते हैं यहां पर चरम शब्दसे उनका ग्रहण है । चरमो देहो येषां ते 'चरमदेहा' यह ७५३ से यहां पर चरमदेह पदका विग्रह है। उत्तमशब्दस्योत्कृष्टवाचित्वाच्चक्रधरादिग्रहणं ॥३॥ उत्तम शब्दका अर्थ उत्कृष्ट है । जो उत्कृष्ट हों वे उत्तम कहे जाते हैं । मनुष्य आदिमें चक्रवर्ती आदि उत्तम हैं इसलिये सूत्रमें स्थित उत्तम शब्दसे यहां चक्रवर्ती आदिका ग्रहण है। उचमो देहो येषां ते 'उत्तमदेहाः' यह यहां पर 'उत्तमदेह' पदका विग्रह है। उपमाप्रमाणगम्यायुषोऽसंख्येयवर्षायुषः॥४॥ जिनकी आयुकी एक दो आदि संख्यासे गणना न हो सके किंतु उपमाप्रमाण पल्य आदिसे गम्य हूँ हो उन्हें असंख्येयवर्षायु कहते हैं और वे उत्तर कुरु आदिमें उत्पन्न होनेवाले तिर्यंच और मनुष्य हैं। है अर्थात असंख्येयवर्षायु शब्दसे भोगभूमियां तिथंच और मनुष्योंका ग्रहण है। वाह्यप्रत्ययवशादायुषो हासोऽपवर्तः ॥५॥ . उपघात-आयुके कमादेनेके वाह्य कारण विष शस्त्र आदिके द्वारा जो आयुका घट जाना है उसका नाम अपवर्त है । जिन जीवोंकी आयु विष शस्त्र आदिसे घट जानेवाली हो वे अपवर्त्य आयुवाले कहे जाते हैं और जिनकी आयु किसी भी विष शस्त्र आदि कारणोंसे घटनेवाली न हो वे अनपवयं आयु.॥४॥ वाले हैं। ऊपर जो औपपादिक और चरमोचम देहधारी आदि कहे हैं उनकी आयु विष शस्त्र आदि वाह्य कारणों के द्वारा घट नहीं सकती इसलिए वे अनपवयं आयुवाले हैं। शंका-... ... REARRASREKACRORRBRBREGNBARSHAN SOURCECRETSACRORSCORRECEN-CALLIGNORE
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
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