________________
AIDS
ॐ परंतु उसी व्याकरणशास्त्रमें 'द्ववेकयोर्द्विवचनैकवचने' १।५।२२। इससूत्रमें 'दयेकयो यहांपर
द्वि और एक शब्दका संख्या अर्थमें ही प्रयोग है इसलिये उन्नीसके पहिले पहिले एक दो नौ आदि 8 अध्याय शब्द संख्यावाचक भी हैं कोई दोष नहीं ? सो भी अयुक्त है। क्योंकि जिसप्रकार 'बहुशक्ति कीटकं' 4 कीडा बहुत शक्तिवाला है यहांपर बहु शब्द संख्यावाचक नहीं माना गया, नहीं तो बहुत संख्याका हूँ वाचक होनेसे 'बहुशक्तयः कीटक' यह प्रयोग करना पडता किंतु बहुत्वविशिष्ट समुदायरूप है शक्ति जिसकी ऐसा कीडा है इसप्रकार विशिष्ट समुदायका वाचक होनेसे वह संख्येय ही माना है उसीप्रकार है सूत्रमें जो द्वि और एक शब्द है उसका संख्या अर्थ नहीं है किंतु दि शब्दका अर्थ 'द्विसंख्याविशिष्ट , पदार्थके गौण स्वरूप दो अवयव' यह है और एक शब्दका अर्थ 'एकसंख्याविशिष्ट पदार्थका गौण , स्वरूप एक अवयव' यह है । यदि वहांपर दो और एक शब्द संख्यावाचक होते तो द्विशब्दका दो अर्थ
और एक शब्दका एक अर्थ मिलकर बहुत होनेसे 'द्वयेकषां' ऐसा सूत्रमें प्रयोग रहता परंतु वैसा नहीं हूँ इसलिये द्वि आदि शब्दोंको संख्यावाचक नहीं माना जा सकता । यदि कदाचित् यह कहा जाय कि 'द्वयेकयोः' यहांपर द्वि और एक शब्द यद्यपि संख्येयप्रधान हैं तथापि बलवान कारणसे उन्हें संख्या- * प्रधान माना जा सकता है । तब फिर वहां पर यह शंका उठती है कि जब द्वि और एक शब्दको संख्यावाचक माना जायगा तब 'द्ववेकयो' निर्देशकी जगह 'द्वित्वैकत्वयोः' ऐसा होना चाहिये
अन्यथा दिशब्दका अर्थ दो और एक शब्दका अर्थ एक मिलकर बहुत होनेसे 'दयेकेषां' ऐसा ६ कहना पडेगा ? सो ठीक नहीं । भावप्रत्ययका त्व और तलके विना भी निर्देश गौण और प्रधान
१ सिद्धांतकौमुदा पृष्ठ १६ ।
PROPEOSRAEBAR
KAISERIAGRICANARIENDRAGIST