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________________ मापन BREACHEResoANASSREKRECESSTECHKARMA विशेष-मनुष्य आदि जीव पर्याय और सम्यग्दर्शनके शास्त्रका जानकार जो शरीर आगे उन्हें है प्राप्त करेगा वह भविष्यत् ज्ञायक शरीर नो आगम द्रव्य कहा गया है। यही भावि नो आगम द्रव्यका आशय है इसलिये भविष्यत् ज्ञायक शरीर नो आगम द्रव्यसे ही जब भावि नो आगमद्रव्यका अर्थ सिद्ध हो जाता है तब भावि नो आगम द्रव्य भेद मानना निरर्थक है ? सो ठीक नहीं । भविष्यत् ज्ञायक शरीर नामक नो आगम द्रव्यमें जो शरीर आगे जाकर मनुष्य आदि जीवनपर्याय वा सम्यग्दर्शन प्राप्त करेगा वह उनके शास्त्रका भी जानकार होना चाहिये यह तात्पर्य है और भावि नो आगम द्रव्यमें जो शरीर आगे जाकर मनुष्य आदि जीवनपर्याय वा सम्यग्दर्शन प्राप्त करेगा उसे उनके शास्त्र जाननेकी आवश्यकता नहीं। वह अज्ञायक होकर ही प्राप्त कर सकेगा इसलिये भविष्यत् ज्ञायक शरीर नो आगम द्रव्यमें ज्ञायकपना और भावि नो आगम द्रव्यमें अज्ञायकपना इसतरह ज्ञायकपना और अज्ञायकपना का दोनोंमें जब बलवान भेद मौजूद है तब दोनोंका विषय एक मानकर भावि नो आगम द्रव्यके नाम के भेदको निरर्थक बतलाना युक्तिवाधित है । भावि नो आगम द्रव्यका यदि कोई आगम द्रव्यमें समा. वेशकी शंका करे वह भी अयुक्त है क्योंकि आगम द्रव्यमें आत्माका ग्रहण किया गया है और भावि । १तर्हि ज्ञायकशरीरं भाविनोआगमद्रव्यादनन्य एवेति चेन्न ज्ञायकविशिष्टस्य ततोऽन्यत्वात् । तस्यागमद्रव्यादन्यत्वं सुप्रतीतमेचानात्मत्वात् । कर्मनोकर्म वान्वयप्रत्ययपरिच्छिन्नं ज्ञायकशरीरादनन्यदिति चेत्, न । कार्मणस्य शरीरस्य तेजसस्य च शरीरस्य शरीरभावमापन्नस्याहारादिपुद्गलस्य वा ज्ञायकशरीरत्वासिद्धः औदारिकवैक्रियिकाहारकशरीरत्रयस्यैव ज्ञायकशरीरत्वोपपत्तेरन्यया विग्रहगतावपि जीवस्योपयुक्तज्ञानत्वप्रसंगात् । जसकार्याणशरीरयोः सदभावात । कर्म नोकर्म नोग्रागमद्रव्पं माविनोमागमद्रम्पादनांतरमिति चेन्न जीवाविप्राभृतज्ञायिपुरुषकर्मनोकर्मभावमापन्नस्यैव तयाभिधानात् । ततोऽन्यस्य भाविनोमागमद्रव्यत्वोपगमात् । । श्लोकवार्तिक पृष्ठ नं० ११२-११३ ॥ गांधी नायारंगग्रन्थपाला । HTANISTRATISTESTAITASTROPIERRORINE
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
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