________________
FASABA
अध्याय
ABORDPROFREPORILALBAUTORE
भी पचपन पत्यकी आयु है। शेष वर्णन आरण इंद्रके समान समझ लेना चाहिये तथा सभा आदिका विधान भी आरण इंद्रके ही समान है। विशेष इतना है कि
चारो लोकपालोंमें वरुण लोकपालकी आधिक आयु है। उससे कम आयु वैश्रवण लोकपालकी है। उससे कम आयु सोम और यम लोकपालोंकी है। इसप्रकार लोकानुयोगके उपदेशकी अपेक्षा यहां चौदह है इंद्रोंका वर्णन किया गया है वास्तवमें तो बारह ही इंद्र हैं क्योंकि पूर्वोक्त क्रमसे ब्रह्मोत्तर कापिष्ठ महाशुक्र है और सहस्रार स्वगोंके इंद्र दक्षिण दिशाकी ओरके इंद्रोंके अनुवर्ती हैं और आनत एवं प्राणत स्वर्गों में है
एक एक इंद्र स्वतंत्र है । अर्थात् सौधर्म और ऐशान इस एक युगलमें दो इंद्र, सानत्कुमार और माहेंद्र । इस एक युगलमें दो इंद्र, ब्रह्मलोक ब्रह्मोत्तर लांतव और कापिष्ठ इन दो युगलोंमें दो इंद्र, शुक्र महाशुक्र शतार और सहस्रार इन दो युगलोंमें दो इंद्र, आनतमें एक इंद्र, प्राणतमें एक इंद्र, आरणमें एक इंद्र
और अच्युतमें एक इंद्र इसप्रकार सोलह स्वाँमें बारह इंद्रोंकी व्यवस्था है। इसप्रकार सौधर्म आदि 18 स्वर्गोंका वर्णन कर दिया गया अब उनके विमानोंका निरूपण किया जाता है
. सौधर्म स्वर्गमें बचीस लाख विमान हैं यह बात ऊपर कह दीगई है। उनमें कितने प्रणिबद्ध हैं और हूँ कितने पुष्पप्रकीर्णक हैं यह भी बात कह दी गई है । ऐशान स्वर्गमें अट्ठाईस लाख विमान हैं। उनमें चौदह सौ सत्तावन तो श्रेणिबद्ध विमान हैं और सचाईस लाख अठानवे हजार पांचौ तेतालीस पुष्पप्रकीर्णक विमान हैं। सानत्कुमार स्वर्गमें बारह लाख विमान हैं उनमें पांचसौ पिचानवे तो श्रोणिवद्ध विमान हैं
और ग्यारह लाख निन्यानवे हजार चारसौ पांच पुष्पप्रकीर्णक विमान हैं। माहेंद्र स्वर्गमें आठ लाख ९ विमान हैं उनमें एकसौ छियानवे श्रेणिबद्ध विमान हैं और सात लाख निन्यानवे हजार आठसै चार
SABISAUTOURISTORISAR