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अध्याय
भाषा
PASSAGAROBARSAN
२००७
भी कम आयु सोम और यम लोकपालोंकी है । शेष वर्णन शतार इंद्रके समान समझ लेना चाहिये व०रा० इसप्रकार सहस्रार स्वर्गका भी वर्णन कर दिया गया। आनत और प्राणत स्वर्गोंका वर्णन इसप्रकार है
सहस्रार नामक इंद्रक विमानके ऊपर लाखों योजनोंके बाद आनत प्राणत आरण और अच्युत ये चार स्वर्ग हैं इनमें आनत १ प्राणत २ पुष्पक ३ सातक ४ आरण ५ और अच्युत ६ ये छह इंद्रक | विमान हैं अर्थात् आनत स्वर्गमें आनत प्राणत और पुष्पक ये तीन विमान हैं और अच्युत स्वर्गमें
माना और अच्यत ये तीन विमान। आनत नामक इंद्रक विमानकी चारो दिशाओंमें चार & विमानोंकी श्रेणियां है अर्थात् श्रेणिबद्ध विमान हैं और विदिशाओंमें पुष्पकप्रकर्णिक विमान हैं। दिशा-1||
| ओमें जो चार विमानोंकी श्रेणियां कही गई है.उनमें प्रत्येक श्रेणिमें सोलह सोलह विमान हैं। इसी-|| 2 प्रकार आगेके पांच इंद्रक विमानोंकी दिशाओंमें भी श्रेणिबद्ध विमान और हर एक इंद्रक विमानको ४ A अपेक्षा एक एक श्रोणिबद्ध विमान कम होता गया है अर्थात्
आनत नामक इंद्रक विमानकी चारो दिशाओंमें सोलह सोलह श्रेणिबद्ध विमान हैं। प्राणत | विमानकी चारो दिशाओंमें पंद्रह पंद्रह श्रेणिबद्ध विमान हैं। पुष्पक विमानकी चारो दिशाओंमें चौदह | | चौदह श्रेणिबद्ध विमान हैं। सातकर विमानकी चारो दिशाओंमें तेरह तेरह णिबद्ध विमान हैं आ| रण विमानकी चारो दिशाओं में बारह बारह श्रेणिबद्ध विमान हैं और अच्युत नामक इंद्रक विमानकीक
चारो दिशाओमें ग्यारह ग्यारह ओणिबद्ध विमान हैं। | (आरण) अच्युत विमानकी दक्षिण श्रेणिके ग्यारह विमानोंमें छठे विमानकी कल्पसंज्ञा है।
१०७७ १-सातकर नाम भी है । २ इरिवंशपुराण पृष्ठ १३ । १३६
ALSONA-ATABASAAMA ।
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