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________________ ०० १०५७/६ SABREABOUSE सुधर्मा नाम सभाका है। जिस स्वर्गमें यह सुधर्मा सभा हो वह सौधर्म स्वर्ग है। यह पहिले स्वर्गका ||5|| अध्याय बाNS नाम.है । सुधर्मा शब्दसे 'वह जिसमें हो' इस अर्थमें अण् प्रत्यय कर सौधर्म शब्द सिद्ध हुआ है। उस Bl सौधर्म स्वर्गके साहचर्यसे इंद्रका भी नाम सौधर्म है। दूसरे स्वर्गके इंद्रका स्वभावसे ही ईशान नाम है। ईशान इंद्रके निवासस्थान स्वर्गका नाम ऐशान है। यहांपर ईशान शब्दसे 'उसका निवास' इस अर्थमें | अण् प्रत्यय हुआ है। ऐशान स्वर्गके साहचर्यसे इंद्रका नाम भी ऐशान है । सनत्कुमार स्वभावसे ही इंद्रका नाम है उसके निवासस्थान स्वर्गका नाम सानत्कुमार.है। सानत्कुमार स्वर्गके साहचर्यसे इंद्रका भी सान2 कुमार नाम है । महेंद्र स्वभावसे ही इंद्रका नाम है। उसके निवासस्थान स्वर्गका नाम माहेंद्र है । माहेंद्र स्वर्गके साहचर्यसे इंद्रका नाम भी माहेंद्र है। ब्रह्मा नामका इंद्र है उसका लोक ब्रह्मलोक कहा जाता है। है इसीप्रकार ब्रह्मोत्तर समझ लेना चाहिये । ब्रह्म इंद्रके निवासस्थान स्वर्गका नाम ब्रह्म है ब्रह्म स्व माहचर्य से इंद्रका भी ब्रह्म नाम है। लांतव नाम इंद्रका है उसके निवासस्थान स्वर्गका नाम भी लांतव है। लांतव स्वर्गके संबंधसे इंद्रका नाम भी लांतव है। शुक्र इंद्रका नाम है उसके निवासस्थान स्वर्गका नाम | शौक है। शौक स्वर्गके साहचर्य से इंद्रका नाम भी शौक है । अथवा शुक्र नाम स्वर्गका है उसके साह चर्यसे इंद्रका नाम भी शुक्र है। शतार नाम इंद्रका है उसके निवासस्थान स्वर्गका नाम भी शतार है।। - शतार स्वर्गके साहचर्यसे इंद्रका भी नाम शतार है। अथवा शतार यह स्वर्गका नाम है उसके साहचर्यसे इंद्रका भी शतार नाम है । आनत नाम इंद्रका है उसके निवासस्थान स्वर्गका नाम भी आनत है। १-तदस्मिन्नस्तीति इस जैनेंद्रसूत्रसे अण प्रत्यपकर सौधर्म नाम स्वर्गका पहा है। १०४७ २-तस्य निवासः इस जैनेंद्रसूत्रसे अण् प्रत्यय हुआ है। SECRECENCEBOOGLEARNEGARBHASHA
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
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