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पवार
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* , चौरासी लाख लताओंका एक महालतांग, चौरासी लाख महालतांगोंकी एक महालता, चौरासी लाख महालताओंको एक शिर प्रकंपित चौरासी लाख शिर कंपितोंकी एक हस्तप्रहलिका तथा चौरासी लाख हस्तप्रहेलिकाओंका एक चर्चित कहा जाता है । इत्यादि रूपसे आगे भी समझ लेना चाहिये।
'. (हरिवंशपुराण) इन सवको संख्यांत काल कहा गया है एवं यह संख्येयकाल वर्षों की गणनासे जाना जाता है। इस * संख्येय कालके वाद असंख्यात काल है और वह पल्यं सागरोपम प्रमाण माना गया है । इस असंख्य 1 कालके वाद अतीत अनागतरूय अनंत प्रमाण काल है और वह केवली भगवान सर्वज्ञके प्रत्यक्ष * गम्य है।
भावप्रमाणं पंचविधं ज्ञानं॥९॥ ___मतिज्ञान श्रुतज्ञान अवधिज्ञान मनःपर्ययज्ञान और केवलज्ञानके भेदसे जो पांचप्रकारका ज्ञान है ७ वही भाव प्रमाण है । इन पांचो प्रकारके ज्ञानोंका वर्णन ऊपर कर दिया गया है ॥ ३८॥ .
जिस प्रकार यह उत्कृष्ट और जघन्यस्थिति मनुष्योंकी कही गई है उसी प्रकार तिर्यचोंकी भी है. हूँ इस वातके प्रतिपादन करनेके लिये सूत्रकार सूत्र कहते हैं
तिर्यग्योनिजानां च ॥३६॥ है तियंचोंकी भी उत्कृष्ट आयु तीन पल्य और जघन्य अंतर्मुहूर्तकी है। 'तिरां योनिस्तिर्यग्योनिः' है अर्थात् तियंचोंकी जो योनि है वह तिर्यग्योनि है । वार्तिककार तिर्यग्योनि शब्दका स्पष्टीकरण करते हैं
तिर्यङ्नामकर्मोदयापादितजन्म तिर्यग्योनिः॥१॥