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________________ प्रकाशकीय सुबोध जैन पाठमाला प्रथम भाग का प्रकाशन श्राप लोगो के हाथो मे पहुँच ही चुका है। यह हर्ष का विषय है कि शिक्षण प्रेमी सज्जनो ने इसकी सराहना व्यक्त की है। अब आपकी सेवा मे द्वितीय भाग भी प्रस्तुत कर रहे हैं। इस भाग का मूल्यांकन विद्वत् सज्जनो एवं जिज्ञासु व्यक्तियो का विषय है फिर भी शिक्षण संस्थाएं एवं धर्मप्रेमी पाठफगरण इससे लाभान्वित हो सकें, तो हम अपना श्रम सार्थक समझेगे। शिक्षण शिविर काल नजदीक होने से और समयाभाव से इसकी प्रतियां हम विद्वान मुनिराजो एव सुज्ञ श्रावको की सम्मति के लिये और समाचार-पत्रो के समालोचनार्थ नहीं भेज सके। पुस्तक का कलेवर विस्तृत हो जाने से इसको सूत्र व तत्त्व विभाग (पूर्वाa) कथा व काव्य विभाग (उत्तरार्द्ध) के रूप मे पृथकपृथक पुस्तकाकार मे प्रकाशित किया गया है । १००८ तपस्वी श्री लालचन्दजी म० सा० के प्राज्ञानुवर्ती बाल. ब्रह्मचारी पं० २० मुनि श्री पारसमलजी म. सा० ने अथक परिश्रम फर अल्प समय मे जो यह प्रागमनाकूल साहित्य तैयार किया है, उसके लिये हम 'प्रामार प्रदर्शित करते हैं। प्रेसादि कार्य मे तरुण सुज्ञ श्रावफ श्री सपतराजजी डोसी की सेवाएं सराहनीय रही, उसके लिये वे विशेष धन्यवाद के पात्र हैं। त मे जालोर समाज के उन उदार हदय सज्जनों के प्रति भी हम अपनी कृतज्ञता व्यक्त किये विना नहीं रह सकते, जिनके सहयोग के फारण इस पुस्तक का प्रकाशन शीघ्र सभव हो सका। होराचन्द कटारिया, राणावास, धोंगडमल गिड़िया, जोधपुर, भध्यक्ष, मत्री, घी स्थानकवासी जन शिक्षण शिविर समिति, जोधपुर.
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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