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________________ सूत्र - विभाग - ८. 'अहिंसा प्रसुव्रत' प्रश्नोत्तरी [ ५.१ प्र० 'छविच्छेद ' प्रतिचार कब लगता है ? उ० . रोगादि कारणो के न होते हुए सजीव चमडी छेदने पर, डाम देने पर तथा अवयवादि काटने पर । प्र० अतिभार किसे कहते है ? उ० ' जो पशु जितने समय तक जितना भार ढो सकता हो, उससे भी अधिक समय तक उस पर भार लादना या जो मनुष्य जितने समय तक जितना कार्य कर सकता, हो, उससे भी अधिक समय तक उससे कार्य कराना । 1 DO भत्त-पारण- विच्छेए प्रतिचार कब लगता है ? रोगादि कारणो के न होते हुए यथा समय पूरा भोजन-पान न देने पर उ० प्र० . ' कषायवा गाढ बन्धन बाँधना' आदि प्रतिचार है या अनाचार ? 1 उ० : कुछ तीव्र (प्रत्याख्यानावरणीय की सीमा तक ) कषायवश गाढ बन्धन बाँधना प्रादि प्रतिचार है तथा अति तीव्र (प्रत्याख्यान की सीमा मे जाने वाली ) कषायवश - गाढ़ बन्धन आदि, अनाचार है । अतः श्रावक को तीव्र कषाय से बचना चाहिए। पर जब तक उसके तीव्र कषाय का व्यवहार से निर्णय न हो, तब तक उसे प्रतिचार हो कहा जाता है, अनाचार - नही । यह उत्तर सहसाभ्याख्यान आदि उन सभी प्रतिचारों के लिए समझना चाहिए, जो अतिचार कषायवश होकर लगाये जाते हो । - 1
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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