SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 46
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३० ] २. प्रत्यागमे ३ तदुभयागमे ऐसे तीन प्रकार श्रागम रूप ज्ञान के विषय मे जो कोई प्रतिचार लगा हो, तो श्रानोउं अतिचार पाठ : यदि व्याविद्ध पढा हो, : व्यत्वयाम्रेडित पढा हो, सुवोन जैन पाठमाला - भाग २ : श्रर्थ (रूप ) ग्रागम : ( सूत्र अर्थ ) उभय (रूप) ग्रागम १. जं वाइद्ध २. बच्चा-मेलियं ३ होणक्खरं ४. श्रच्चदखरं ५. पयहोणं ६. विश्णय होणं ७ जोग- होण ८. घोस- होणं ६. सुटठु ( s) दिनां १०. दुट्छु पडिच्छियं ११. अकाले की सज्झायो १२. काले न को सज्भाश्रो १३. श्रसज्झाए सज्झाइयं १४. सम्भाए न सज्झाइयं : होनाक्षर पढा हो, : प्रति ग्रक्षर पढा हो, : पदहीन पढा हो, : विनयहीन पढा हो, : योगहीन पढा हो, : घोषहीन पढा हो, : सुष्ठु ? ( नं) दिया हो, : दुष्ठु लिया हो, काल मे स्वाध्याय की हो, : काल मे स्वाध्याय न की हो, : अस्वाध्याय मे स्वाध्याय की हो, : स्वाध्याय मे स्वाध्याय न की हो, •
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy