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________________ तत्त्व-विभाग-चौबीसा बोल : 'करण-योग के ४६ भग' [ २४७ ४. करूँगा नहीं, अनुमोदूंगा नहीं; मन से; ५ करूँगा नहीं, अनुमोदूंगा नहीं; वचन से; ६. करूँगा नहीं, अनुमोदूंगा नहीं; काया से। ७. कराऊँगा नहीं, अनुमोदूंगा नहीं, मन से, ८ कराऊँगा नहीं, अनुमोदूंगा नहीं; वचन से, ६. कराऊँगा नहीं अनुमोदूंगा नहीं; काया से । दो करण दो योग के नव भग - जैसे '२२' मे पहला अक दो है और उसके पीछे भी दो का ही अक जुड़ा है, वैसे ही पहले दो-दो करण लेकर उसके पीछे भी दो-दो योग जोड़ने से ६ भग बनते हैं। वे इस प्रकार से हैं-- १. करूँगा नहीं, कराऊँगा । ; मन से, वचन से; २. करूंगा नहीं, कराऊँगा नहीं, मन से, काया से; ३. करूँगा नही, कराऊँगा नहीं, वचन से, काया से। ४. करूँगा नहीं, अनुमोदूंगा नही; मन से, वचन से; ५. करूँगा नहीं, अनुमोदूंगा नहीं; मन से, काया से; ६. करूँगा नहीं, अनुमोदूंगा नहीं; वचन से, काया से । ७. कराऊँगा नहीं, अनुमोदूंगा नहीं; मन से, वचन से; ८. कराऊँगा नहीं, अनुमोदूंगा नहीं; मन से, काया से; ६. कराऊँगा नहीं अनुमोदूंगा नहीं; वचन से, काया से। दो करण तीन योग के तीन भंग जैसे '२३' मे पहला अक दो है और उसके पीछे तीन का अक जुडा है, वैसे ही पहले दो-दो करण लेकर उसके पीछे तीनतीन योग जोड़ने से ३ भग बनते है। वे इस प्रकार है १. करूँगा नहीं, कराऊंगा नहीं; मन से, वचन से, काया से; २. करूँगा नहीं, अनुमोदंगा नहीं; मन से, वचन से, काया से; ३. कराऊँगा नहीं, अनुमोदूंगा नहीं; मन से, वचन से, काया से ।
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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