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________________ सूत्र-विभाग- २५ 'श्रमण सूत्र' चर्चा [ १४९ विपक्षकार - तीन गुप्ति, पाँच महाव्रत, पाँच समिति, १२ भिक्षु प्रतिमा ग्रादि, जिसे श्रावक धारण ही नहीं करता, उनका वह क्या प्रतिक्रमण करे ? पक्षकार - तीन गुप्ति, पाँच समिति तो सामयिक पौषध आदि मे श्रावक धारण करता ही है । यदि धारण नही करता, तो श्रावक योग्य 'इच्छामि ठाएमि' मे 'तिन्ह गुत्तीण' पाठ नही रहता । ग्रत उनका प्रतिक्रमण तो स्पष्ट आवश्यक है ही । शेष महाव्रत, भिक्षु प्रतिमा आदि का उनकी श्रद्धा प्ररूपणा मे दोष लगे हो, उस दृष्टि से प्रतिक्रमण आवश्यक है | जैसे साधु, श्रावक प्रतिमा या कई साधु भिक्षु प्रतिमा धारण नही करते, वे भी उनकी श्रद्धा प्ररूपणा मे लगे दोषो के निवारणार्थ प्रतिक्रमण करते है । * प्र० : 'नमो चउवीसाए' का पाठ किसलिए उपयोगी है ? उ० . यह पाठ भी तैतीस बोल के समान सब के लिए उपयोगी है और विशेष उपयोगी है । क्योकि इसमे जैन धर्म के प्रवर्तक २४ तीर्थंकरो को नमस्कार, जैन धर्म के गुण, जैन धर्म के फल, जैन धर्म स्वीकृति आदि ऐसी बाते है, जो प्रत्येक जैन के लिए बहुत काम की वस्तु है । भगवती सूत्र के जमाली अधिकार से भी यह बात पुष्ट होती है कि इसकी उपयोगिता के कारण इस पाठ को बहुत से जैन श्रावक-श्राविकाएँ जानते थे । इसकी उपयोगिता इस बात से भी सिद्ध है - 'तस्स धम्मस्स' तस्स सव्वस्स' आदि पाठ, जो इसी 'नमो चउवीसाए' के कुछ भावो का वहन करते है, श्रमरणसूत्र की उपयोगिता न स्वीकारने वाले भी पढते हैं ।
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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