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________________ सूत्र - विभाग – २०. 'अतिथि संविभाग व्रत' व्रत पाठ [ १११ : निर्ग्रन्थो ( स्त्री और परिग्रह के त्यागियो ) को निग्गंथे, फासूयएसरिगज्जे १.-२. प्रसरण - पारण ३.-४. खाइम - साइम ५. वत्थ ६. पडिग्गहु - ७. कंबल - ८. पाय- पुच्छरणं पsिहारिय ६. १० पीढ - फलग ११. सेज्जा १२. संथारएण १३. श्रोसह - १४. भेसज्जेणं पडिला मारणे विहरामि : प्रासुक (जीवरहित, प्रचित्त ) : एषणीय ( ग्राधा कर्म आदि दोषरहित ) : भोजन-पानी : खाद्य स्वाद्य : ( सफेद रंग का मूती) वस्त्र ( लकडा, तुम्वा और मिट्टी के) पात्र : ( ऊनी सफेद) कम्बल : रजोहरा (घा) (तथा) : प्रातिहार्य ( जिन्हे साधु, लौटा देते हैं : (ऐसे ) चौकी, पट्टा : पौषधशाला - घर : (तृण आदि का ) ग्रासन : औषधि ( एक द्रव्य वाली, जैसे हरड़े ) : भेषज (अनेक द्रव्य बाली, जैसे त्रिफला ) : बहराता ( गुरु वुद्धि से देता ) हुआ : विहार करता हूँ ( रहता हूँ) मनोरथ पाठ ऐसी मेरी श्रद्धहरणा प्ररूपणा तो है, साधु साध्वी का योग मिलने पर निर्दोष दान दूँ, तब फरसना करके शुद्ध होऊँ ।
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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