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________________ ६. पाठमाला के विषय-वस्तु मे तात्विक ज्ञान के साथ कथा, काव्य, इतिहास श्रादि का समावेश रोचक वन पडा है । १० काव्य - विभाग मे ऐसी रचनाओ का समावेश है, जो केवल शब्दाडम्बर मात्र न होकर श्रात्म-साधना और संयम की सच्ची अनुभूति कराती हैं । ११ पाठमाला की प्रमुख विशेषता यह है कि इसका अध्ययन शुद्ध स्या० जैन मान्यताश्री की जानकारी के साथ-साथ शुद्ध श्रद्धा को दृढ़ भी करेगा । 1 अन्त मे मे शिक्षण शिविर प्रवन्ध समिति के अध्यक्ष, दानवीर सेठ हीराचन्दजी सा० कटारिया, संयुक्त मंत्री, कर्मठ समाज सेवी श्री फूलचन्द्रजी सा० कटारिया ( राणावास), पूर्ण श्रद्धावान् विज्ञ सुश्रावक श्री धींगडमलजी गिडिया, जोधपुर, के उत्साह व परिश्रम की सराहना किये बिना नहीं रह सकता, जिन्होंने शिक्षण शिविर को प्रवृत्तियो की प्रगति और प्रचार में अपने उत्तरदायित्व का पूर्ण निर्वहन किया । प्रथम भाग के प्रकाशन में प्रेस कार्यादि के लिये तरुण सुज्ञ श्रावक श्री सपतराजजी डोसी को प्रपित सेवाएँ भी प्रशंसनीय व उल्लेखनीय हैं । : ४ : लक्ष्मीलाल दक एम ए (प्री) 'साहित्यरत्न' प्रधानाध्यापक, रेल्वे विद्यालय, जोधपुर.
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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