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________________ पाठ ११-करेमि भते प्रश्नोत्तरी [ ३६ उ० • नही। इसके अतिरिक्त और भी विधि करनी पड़ती है। वह अगले पाठो मे बताई जायगी। जब तक अन्य पाठ कठस्थ न हो और विधि की जानकारी न हो, तब तक केवल इस पाठ को पढकर ही कई सामायिक व्रत ग्रहण करते हैं। सामायिक पालने की विधि क्या है ? उ० : वह भी अगले पाठो मे वताई जायगी। जब तक उसके लिए आवश्यक पाठ कठस्थ न हो और विधि न जाने, तब तक ली हुई सामायिक तीन नमस्कार मन्त्र गिनकर या केवल सामायिक पारने का पाठ पढ कर ही कई सामायिक व्रत पालते है। प्र० . सामायिक से क्या लाभ हैं ? उ० • १ अट्ठारह पाप छूटते है। २ समभाव की प्राप्ति होती है। ३. एक घडी साधु-सा जीवन बनता है। ४. जैसे खुले समय मे बडे पशु, पक्षी, मनुप्य आदि की दया और रक्षा की भावना होती है, वैसे ही सामायिक मे छोटे-सेछोटे जीवो की भी दया और रक्षा करना चाहिए-ऐसो भावना उत्पन्न होती है और दृढ बनती है। ५ ससार के कार्य करते हुए अरिहतो की वाणी सुनने-वाचने का अवसर कठिन रहता है, सामायिक करने से वह अरिहतो की वाणी सुनने-वाचने का अवसर मिलता है। ६. सामायिक, पौषध आदि व्रत · मे रहे हुए श्रावकश्राविको की सेवा का लाभ मिलता है। इत्यादि सामायिक से वहुत-से लाभ हैं।
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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