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________________ पाठ ११ - करेमि भते प्रश्नोत्तरी काल से जाव = जव तक । नियमं = इस नियम का । पज्जुवासामि पालन करता हूँ, तब तक । भाव से दुविहं = दो प्रकार के करण से । योग से । न करेमि = सावद्य योग को नही करूँगा । वेमि =न दूसरे से कराऊँगा । कायसा = काया से । मरसा = मन से | वचन से । A [ ३३ = तिविहे = तीन प्रकार के न कार वयसा = पाठ ११ ग्यारहवाँ करेमि भंते प्रश्नोत्तरी पहले किये हुए पाप के विषय में भन्ते = हे भगवन् । 1 तस्स = उसका ( इस सामायिक करने के पहले किये हुए पाप का ) । पडिक्कमामि = प्रतिक्रमण करता हूँ । निन्दामि = निन्दा करता हूँ । गरिहामि = गर्हा करता हूँ | अप्पाणं = ( अपनी पापी) आत्मा को । वोसिरामि = वोसिराता हूँ । प्र० भगवान् किसे कहते हैं ? उ० : साधारणतया अरिहत तथा सिद्ध को भगवान् कहा जाता है, परन्तु यहाँ प्राचार्य आदि गुरु को भी भगवान् कहा गया है ।
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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