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________________ २४ ] जैन सुबोध पाठमाला भाग १ ब्रह्मचर्य के लिए जैन साधु स्त्री को छुने तक नही तथा फूटी कौड़ी भी सम्पत्ति के नाम पर नही रखते। मुनि : आपका धर्म कौनसा है ? बालक : जैन धर्म ही हमारा धर्म है। मुनि : क्यो? बालक : 'जिन' का कहा हुआ धर्म जैन धर्म है। वह धर्म पूर्ण धर्म है और सत्य धर्म है। हम उसी पर विश्वास करते है और शक्ति के अनुसार पालन करते है, इसलिए जैन धर्म ही हमारा धर्म है। अन्य धर्म पूर्ण धर्म नही है, क्योकि किसी मे केवल जान मे धर्म माना है, चारित्र मे नही। किसी मे केवल चारित्र मे धर्म माना है, ज्ञान में नही। कोई केवल भक्ति मानते हैं और अन्य को आवश्यक नही समझते। अन्य धर्म सत्य धर्म नहीं है, क्योकि उनके शास्त्रो मे कही अहिंसा को परम धर्म बताया और कही हिसा करने मे महा लाभ बताया है। कही ब्रह्मचारी को भगवान् बताया है और कही 'विना पुत्र सुगति नही मिलती' ऐसा कहा है। इसलिए हम उन धर्मों पर विश्वास नही करते। मुनि : दृष्टि किसे कहते है ? बालक : श्रद्धा (मत, विचार )को दृष्टि कहते है। मुनि : सम्यग्दृष्टि किसे कहते है ?
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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