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________________ १६ ] जैन सुवोध पाठमाला - भाग १ प्रवेश मिलता है । कोई सन्देह नही करता । से शरीर स्वस्थ और वलवान रहता है। प्र० : उ० : ब्रह्मचर्य अपरिग्रह से तन-मन को अधिक विश्राम मिलता है । ४. बाहरी तप से रोग नष्ट होते है । शरीर निरोग रहता है । भीतरी し लोग हमारा प्रादर करते है । हमे निमन्त्रण देते हैइत्यादि जैन धर्म से इस लोक मे कई लाभ है । До जैन धर्म से परलोक मे क्या लाभ है ? उ० . १ ज्ञान से समझने की शक्तिं, स्मरणशक्ति, तर्कशक्ति, तेज मिलती है । २. श्रद्धा से देवगति, मनुष्य गति मिलती है । ग्रार्यक्षेत्र मिलता है । अच्छा कुल मिलता है । ३. ग्रहिंसा से दीर्घ श्रायुप्य मिलता है, निरोग काया मिलती है । सत्य से मधुर कठ और प्रिय वाणी मिलती है । अचौर्य से चोर का वश नही चलता । ब्रह्मचर्य से पाँचो इन्द्रियाँ मिलती है । इन्द्रियाँ सतेज रहती है । अपरिग्रह से धनवान कुल में जन्म होना है । कही पर भी सम्पत्ति का विनाश नही होता । ४ तप से किसी प्रकार दु.ख या शोक नही होता । एक दिन मोक्ष मिलता है । जैन धर्म से तात्कालिक लाभ क्या हैं ? १ ज्ञान से जीव प्रजीवादि तत्वो का ज्ञान होता है । २. दर्शन से ( अरिहंत की वारणी पर) जीव-ग्रजीवादि तत्वो पर श्रद्धा होती है । ३ चारित्र से कर्म बँधते हुए रुकते हैं । तप से पुराने कर्म क्षय होते है । अपने प्रश्नो का समाधान हो जाने पर दोनो मित्र आचार्य श्री को वंदनादि करके अपने घर लौट गये । 1
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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