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________________ १४ ] जैन सुबोध पाठमाला - भाग १ प्र० : भन्ते । ( आचार्य श्री को सम्बोधन ) नमस्कार मंत्र तथा जीव-जीव आदि पर श्रद्धा रखने वाला क्या कहलाता है ? जैन । उ० : प्र० : जैन किसे कहते है ? उ० : जो जिन भगवान द्वारा बताये हुए धर्म पर श्रद्धा रखता हो, पालन करता हो । प्र० : 'जिन' किन्हे कहते हैं ? उ० : अज्ञान, निद्रा, मिथ्यात्व, राग, द्वेष, अन्तराय - ये हमारी आत्मा के 'अरि' = शत्रु है | इन्हे जिन्होंने 'हन्त' = नष्ट कर दिये हैं, वे अहित कहलाते हैं । आत्मा के शत्रु पर विजय पाने के कारण अरिहंत को जिन कहा जाता है । प्र० : धर्म किसे कहते है उ० : जो जीवो को दुर्गति मे पडते हुए बचावे तथा सुगति मे ले जावे, उसे धर्म कहते है । प्र०. धर्म क्या है ? उ० : १. सम्यग् ज्ञान, २ सम्यग् दर्शन, ३. सम्यक् चारित्र तथा ४ सम्यक् तप । प्र० : ज्ञान किसे कहते हैं ? उ० : भगवान् द्वारा बनाये हुए जीव-ग्रजीव यादि नव तत्वो का ज्ञान करना । प्र० : उ० . प्र० : उ० ? दर्शन किसे कहते है अरिहत द्वारा बताये हुए तत्वो पर श्रद्धा रखना । ? चारित्र किसे कहते है ? महाव्रत या व्रतादि का पालन करना ।
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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