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________________ २७६ ] जैन मुवोध पाठमाला-भाग १ मार्ग दिखाया मोक्ष वताया, सयम विधि सिखलाई। धर्म बताया, अर्थ सुनाया, आगे कूच कराई। धर्म सारथी भारी, धर्म चक्रकरधारी, ज्ञान न कही रुक पाता। हे अछन । हे जिनवर ! जय हे ! शासन आदि विधाता। जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे,शासन आदि विधाता।। जयी बनाये, समुद तिराये, वुध दे मुक्त बनाये। तीर्णं स्वय भी, वुद्ध स्वय भी, मुक्ति स्वय भी पाये। तुम सब जाननहारे,तुम सब देखनहारे,शिव थिर अरुज अनता। हे अक्षय | हे सुखमय | जय हे ! शासन आदि विधाता। जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे,शासन आदि विधाता।। जन्म नही, अवतार नही, अपुनरावृत्ति पाई। सिद्धि नाम है प्रकट विश्व मे, वह पचम गति पाई। बोधि बीज दाता रे, द्वीप बचावनहारे 'पारस' शरण प्रदाता। हे जित अरि हे जितभय ! जय हे | शासन आदि विधाता। जय हे,जय है,जय हे, जय जय जय जय हे,शासन आदि विधाता ।। -'नमोत्युरणं' के भावों पर। ५. महावीर नमन [ तर्ज-सुनो सुनो ए दुनियांवालो ! बापू .. ] नमन श्रमण भगवान् ज्ञात-सुत, महावीर स्वामी को। त्रिशला जननी सिद्ध जनक, देवाधि देव नामी को ।।टेर।। जिनके जन्म समय मे नारक, भी अपना दुख भूले ! दिव्य सौख्य तज सब सुरपति भी, धर्म भाव मे झूले!। जन्म पूर्व ही वृद्धि कारक, 'वर्धमान' नामी को नमन....११
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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