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________________ २७० ] जैन मुबोध पाठमाला-भाग १ धन्ना यह सब सुनकर रक्षिता पर प्रसन्न हुए। रक्षिता मे सरक्षण और संगोपन की योग्यता देखकर उन्होंने उसको घर की स्वामिनी बना दी। रोहिरणी का उत्तर ४ सबसे छोटी वह रोहिणी से वीज मागने पर उसने कहा-'पिताजी आप मुझे गाडियाँ दीजिए ताकि, मैं आपके पाँच गालि आपको लौटा सकू।' धन्ना ने पूछा-'बेटी | पाँच वीज लौटाने के लिए गाडियो की क्या आवश्यक्ता है ? तब रोहिणी ने 'वे पाँच गालि गाडियो-जितने कैसे बने ?' इसकी कहानी सुनाई। यह सुनकर धन्ना ने उसे गाडिया दी। रोहिणी उन गाडियो को लेकर पीहर गई और जो पांच गालि सैकडो घडे जितने बन गए थे, उनको उन गाडियो मे भरा। गाडियाँ भरकर वह उन्हे समुराल लाई और लाकर ससुर को दे दिए। धन्ना यह देवकर वहुत प्रसन्न हुए। उन्होने रोहिणी मे सरक्षण-सगोपन के साथ सवर्द्धन की भी योग्यता देखकर उसे घर की सचालिका बना दी। ___ यह देखकर वहाँ पर बैठे हुए सभी परिवार, जाति, मित्र आदि लोग रोहिणी पर प्रसन्न हुए और उन्होने उसकी बुद्धि की प्रशसा की तथा सार्थवाह की भी प्रशमा की कि-'धन्ना सार्थवाह बडे ही चतुर हैं, जिन्होने अपनी वहुयो की परीक्षा करके उन्हे उनकी योग्यता के अनुसार काम सौंप दिया।' 'जव नगर मे यह बात फैली, तो नगरवासियो ने भी रोहिणी और धन्ना सार्थवाह की प्रशसा की। धन्ना भी बहुप्रो को योग्यतानुसार काम सौपकर निश्चिन्त हो गए।
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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