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________________ जैन सुवोध पाठमाला - भाग १ १० ] प्र० : वन्दना से क्या लाभ हैं ? उ० : १. ग्ररिहतादि के दर्शन होते है । २ जीवन मे विनय आता है । ३. ज्ञानादि शीघ्र प्राप्त होते हैं । ४. धर्मकार्यो मे स्फूर्ति रहती है । ५. पापो का नाग और पुण्य का लाभ होता है । ६. दुर्गुण नष्ट होते है और सद्गुरण खिलते हैं । ७. एक दिन हम भी वन्दनीय वनते हैं । पाठ ५ पाँचवाँ नमस्कार क्रम सुमति और विमल दोनो सगे वडे-छोटे भाई थे । उनमे अच्छा प्रेम था । दोनो बुद्धिमान थे । रात्रि मे सोने का समय हुआ । नमस्कार मंत्र गिनने से पहले दोनो मे चर्चा चल पडी । विमल : हमें पहले सिद्धो को नमस्कार करना चाहिए, क्योकि वे मोक्ष मे चले गये है । सुमति : नही, भैया ! ग्ररिहतो ने धर्म को प्रकट किया है, इसलिए वे हमारे लिए सिद्धो से अधिक उपकारी है । इसके अतिरिक्त सिद्ध हमे दिखाई भी नही देते, उनकी पहिचान भी रिहत ही कराते हैं । ग्रत अरिहतो को ही पहले नमस्कार करना चाहिए । विमल : यदि तुम्हारा कहना उचित है, तो अरिहंत और सिद्धो से भी प्राचार्य आदि को पहले नमस्कार
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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