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________________ कथा - विभाग - ६ श्री कामदेव श्रावक देवलोक मे देव-रूप से उत्पन्न हुए । वहाँ से वे मनुष्य बनकर तथा दीक्षा लेकर सिद्ध बनेगे । ॥ इति ६. श्री कामदेव की कथा समाप्त ॥ ť : २४६ - श्री उपासकदशांग सूत्र, श्रध्ययन २ के आधार से । - शिक्षाएँ १ साधु नही तो श्रावक तो अवश्य बनो । २ स्वय गृहस्थी, चलाते हुए धर्म ग्रधिकंन ही हो सकता । ३. देवादि उपसर्ग आने पर भी धर्म मे दृढ रहो । ४ धर्म मे दृढ रहनेवाले की देव, इन्द्र व भगवान् भी प्रशसा करते हैं । ५ छोटे के उदाहरण से भी शिक्षा लेनी चाहिए । प्रश्न १ कामदेव की लौकिक सम्पन्नता का परिचय दो । २ कामदेव को प्राये हुए उपसर्गों का वर्णन करो । ३ कामदेव को देव उपसर्ग देने क्यो प्राया ? ? - पश्चात् क्या-क्या हुआ ४ उपसर्ग समाप्ति के ५ कामदेव के कथानक से प्रापको क्या शिक्षाएं मिलती है ?
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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