SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 171
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तत्त्व विभाग--श्रावकजी के २१ गुरण सोलहवाँ बोल : 'सम्यक्त्वी के तीन प्रकार' १. कारक : धर्म-क्रिया करे। २. रोचक : धर्म-क्रिया की रुचि रक्खे, पर करे नही। ३. दीपक : न धर्म-क्रिया करे, न रुचि रक्खे, केवल परोपदेश करे। -अनेक सूत्र तथा विशेषावश्यक से । श्रावकजी क ११ गुण १. तत्वज्ञ : जीवादि नव तत्व (और पच्चीस क्रिया) के जानकार हो। २. असहाय : धर्म-क्रिया में किसी की सहायता के अभाव मे धर्म-क्रिया करना न छोडे । ३. अनतिक्रमणीय : देव-दानव आदि से भी निग्रन्थ प्रवचन (जैन धर्म) से चलायमान न हो। ४. निःशंक : निर्ग्रन्थ प्रवचन (जैन धर्म) मे १ शका, २ काक्षा, ३ विचिकित्सा न करे। ५. गीतार्थ : १ लब्धार्थ, २ गृहीतार्थ, ३. पृष्ठार्थ, ४. अभिगृहीतार्थ और ५ विनिश्चितार्थ हो। (अर्यात् सूत्रार्थ को १ दूसरो से पाये हुए, २ स्वय ग्रहण किये हुए, ३ पूछे हुए, ४. समझे हुए तथा ५ निश्चय किए हुए हो)
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy