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________________ (३७) पर्याप्त ही होते है सो कैसे घटेगी? पर्याप्त अवस्था का नियम कैसे बनेगा? उत्तर-यह शंका ठीक नहीं। क्योंकि छेदन भेदन होने एवं अग्नि चादि में जला देने बादि से भी नाकयों का मरण नहीं होता है। यदि उनका मरण हो जाय तो वे फिर वहां (नरक में) उत्पन्न नहीं हो सकते हैं। कारण; ऐसा पागम है कि जिनकी पायु पूर्ण हो जाती है ऐसे नारकी नरक गति से निकल कर फिर नरक गति में पेश नहीं होते हैं। उसी प्रकार वे मरकर देवगति को भी नहीं जाते हैं किन्तु नरक से निकलकर वे तियंच मोर मनुष्यति में ही उत्पन्न होते हैं इस भार्ष कथन से नारको जीवों का नरक से निकज्ञकर पुनः सोधा नरक में उत्पन्न होना निषिद्ध है। ___ फिर शंका-पायु के अन्त में ही मरने वाले नारकियों के लिये हो सूत्र में कहा गया नियम लागू होना चाहिये। उत्तर-नहीं, क्योंकि नारकी जीवों को अपमृत्यु (भकाल. मरण) नहीं होती है। नाकियों का छदन भेदन अग्निमें जलाने मादि से बीच में मरण नहीं होता है किन्तु भायु के समाप्त होने पर ही उनका मरण होता है। फिर शंका-नारकियोंका शरीर अग्नि में सर्वथा जला दिया जाता है वैसी भवस्थामें उनका मरण फिर कैसे कसा आता पर-बह मरण नहीं है किन्तु उनके शरीर का केबल
SR No.010545
Book TitleSiddhanta Sutra Samanvaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri, Ramprasad Shastri
PublisherVanshilal Gangaram
Publication Year
Total Pages217
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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