SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३ देश में लगाई थी। भारत भर के समाज की आंखें की उस कश की ओर लगी हुई थीं। जिस देश में बम्बई ऐस्म्बली के भू० पृ० अर्थ सभ्य (फाइनेंस मिनिष्टर) और कोल्हापुर दीवान श्री माननीय लट्ठे महोदय, फर्यादी ( विपक्ष) के वकील थे उस बड़े भारी केश में पूर्ण सफलता के साथ हमारी विजय होने में उक्त सभो महानुभाव और खासकर श्री० सेठ गुलाबचन्छ जी शाह सांगली का अथक प्रयत्न ही साधक था । सांगली राज्य के चेम्बर आफ कामर्स के प्रेसीडेण्ट पद पर रहकर श्री० सेठ गुलाबचन्द्र जी शाह ने वहां के व्यापारीवर्ग में पर्याप्त माकर्षण किया है। वहां की व्यापार सम्बन्धी उलझनों को भाप बड़े चातुर्य से दूर कर देते हैं । श्री० शांतिसागर अनाथाश्रम सेडवाल ६. श्राप दृष्ट कमेटी के मन्त्री हैं। धवल सिद्धांत ताम्रपत्र लिपि के लिये आपने अपनी भोर से ५०००) और अपनी सौ० धमरत्नी श्री श्रीर से १०००) रु० दिया है। दक्षिण उत्तर के समस्त सिद्ध क्षेत्र व अतिशय क्षेत्रों की आप दो बार यात्रा भी कर चुके हैं। आपके ४ पुत्र हैं जो सभी योग्य है । श्री० सेठ बंशीलाल जी नादगांव और श्री० सेठ गुलाबचन्द जी सांगली दोनों ही अनेक धार्मिक कार्यों में दान करते हैं। श्री० गोपाल दि० जैन सिद्धांत विद्यालय मोरेना (ग्वालियर स्टेट) के धौव्य फण्ड में दोनों ने १००१) १००१) ६० प्रदान किये हैं। दोनों हो इस प्रख्यात सस्था के सुयोग्य सदस्य हैं। इस ग्रन्थ प्रकाशन में भी उन्हों ने द्रव्य लगाया है, इतने निमित्त से ही हम उनकी
SR No.010545
Book TitleSiddhanta Sutra Samanvaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri, Ramprasad Shastri
PublisherVanshilal Gangaram
Publication Year
Total Pages217
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy