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________________ धवल द्रव्य प्रमाणानुगम तथा च बेईदिय तेइंदिय परिदिया तस्सेव पजत्ता अपजत्ता दधपमाणेण के वडिगा असंखेजा। (सूत्र ७७ पृष्ठ १५५) धवल द्रव्य प्रमाणानुगम प्रथं दोनों सूत्रों का सुगम।। सूत्र की व्याख्या में धवलाकार लिखते हैं एत्य अपनत्तवयणण अपञ्चत्तणाम कम्मोदयसहिद जीवाघेतवा । अएणहा पजत्तणाम कम्मोदय सहिदणबत्ति भरजत्ता वि अपजत्त वयणण गहणप्पसंगादी । एवं पजत्ता इतिवृत्ते पज्जतणाम कम्मोदय सहिद जीवा घेत्तवा भएणहा पज्जवणाम कम्मोदय सहिद णिव्यत्ति अपज्जत्ताणं गहणाणुवत्तादा। विति चरिदियत्ति बुत्तं वीइंदिय तीइंदिय परिदिय जादिणाम कम्मोदय सहिदजीवाणं गहणं । (पृष्ठ १५६ धवना) अर्थ-यहां पर सूत्र ७७ में आये हुये अपयांत वचन से पपयाप्त नामकमे के उदय से युक्त जीवों को ग्रहण करना चाहिये अन्यथा पर्याप्त नामकर्म के उदय से युक्त नित्यपयाप्तक जीवों का भी अपर्याप्त इस वचन से ग्रहण प्राप्त हो जायगा । इसीप्रकार पर्याप्त ऐसा कहने से पर्याप्त नामकर्म के उदय से युक्त जीवों का महण करना चाहिये अन्यथा प्रर्याप्तनामकर्मके उदयसे युक्त नित्य
SR No.010545
Book TitleSiddhanta Sutra Samanvaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri, Ramprasad Shastri
PublisherVanshilal Gangaram
Publication Year
Total Pages217
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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