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________________ जो द्रव्यात्रियों का प्रमाण फार गोम्मटसार द्वारा बताया गया है वही प्रमाण द्रव्यखियों का षट वएडागम के द्रव्य प्रमाणानुगम में बताया गया है देखिये मणुसिणीसु मिच्छाइद्विदचपमाणेण केवडिया ? कोडा-- कोहाकोडोरा उपरि कोडाकोडाकोडोरा हेदो छाई बगाण मुरि सतएह बग्गाण हेतृदो। (सूत्र ४८ पृष्ठ १३०) षटखण्डागम द्रव्यानुगम एत्तस्त सुत्तस्स वाखाणं मणुसपजत्त सुत्तवक्खाणेण तुल्ल । इसक आगे जो मानुपियों की संख्या धवनाकार ने सूत्र निर्दिष्ट कोडाकोडी आदि पदों के अनुसार बताई है वह वही है जो गोम्मटसार में द्रव्यत्रियों की बताई गई है। इसी प्रकार सम्बट्टसिद्धिविमाणवासिदेवा दवपमाणण कडिया संग्वेजा। (सूत्र ७३ पृष्ठ १४३ धवल) इस सूत्र में सर्वार्थ सिद्धि के देवों का संख्या बताई गई है। वह द्रव्य शरीरी देवों की है। इसी सूत्र के नीचे व्याख्या में पवनाकार लिखते हैं मणुसिणो रासोदो विउणमेत्ता हति । इसका अर्थ है कि सर्वार्थसिद्धि के देव मनुपिणियों के प्रमाण से ति गुनेहें यहॉपर मानुषी द्रव्य स्त्री का वावक है । गाम्मटसारमें. समसगगुणपडिवएणे सगसगरासीसु प्रमणिदे वामा। (गाथा ४१ पृ१ १०१३)
SR No.010545
Book TitleSiddhanta Sutra Samanvaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri, Ramprasad Shastri
PublisherVanshilal Gangaram
Publication Year
Total Pages217
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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