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________________ श्री सिद्धचक्र विधान [८३ नाकहोऔरदोआदिकेजोड़में, होउदयचालनायोगसोंलोड़में। गामिनीकर्मसोतीनइन्द्रीकहो, पूजहूँसिद्धकेचरणताकीदहो॥ ॐ ह्रीं त्रीन्द्रियजातिरहिताय सिद्धाधिपतये नमः अध्यं ॥११॥ आँखहोनाकहोजीभहोस्पर्शहो,कानकेशब्दकाज्ञानजामेंनहो। गामिनीकर्मसोचारइन्द्रीकहो, पूजहूँ सिद्धके चरणताकोदहो॥ ___ॐ हीं चतुरिन्द्रियजातिरहिताय सिद्धाधिपतये नमः अध्यं ॥१२॥ कानभीआमिलैजीवजाजातिमें,होअसंज्ञीसुसंजीयहदोभाँतिमें। गामिनीकर्मसोपञ्चइन्द्रीकहो, पूजहूँसिद्धके चरणताकोदहो॥ ॐ ह्रीं पंचेन्द्रियजातिरहिताय सिद्धाधिपतये नमः अध्यं ॥६३ ॥ छन्द लावनी हो उदार जो प्रगट उदारिक, नाम कर्म की प्रकृति भनी। लहै औदारिक देह जीव तिस, कर्म प्रकृति के उदय तनी॥ भए अकाय अमूरति आनन्द, पुञ्च चिदातम ज्योति घनी। नमूं तुम्हें कर जोर युगल तुम, सकल रोगथल काय हनी॥ ... ॐ ह्रीं औदारिकशरीरविमुक्ताय सिद्धाधिपतये नमः अध्यं ॥६४॥ निज शरीर को अणिमादिक करि, बहु प्रकार प्रणमाय वरै। वैक्रिय तन कहलावै है यह, देव नारकी मूल धरै॥भए.॥ ___ ॐ ह्रीं वैक्रियिकशरीरविमुक्ताय सिद्धाधिपतये नमः अयं ॥६५॥ धवल वर्ण शुभ योगी, संशय-हरण आहारक का पुतला। जोप्रमत्तगुणनाथक मुनिके, देहऔदारिकसों निकला॥भए. . ॐ ह्रीं आहारकशरीररहिताय सिद्धाधिपतये नमः अध्यं ॥६६॥ पुद्गलीक तन कर्म वर्गणा, कारमाण परदीप्त करण। तैजस नाम शरीर शास्त्र में, गावत हैं नहिं तेजवरण॥भए.॥ ॐ ह्रीं तैजसशरीररहिताय सिद्धाधिपतये नमः अध्यं ॥१७॥
SR No.010544
Book TitleSiddha Chakra Mandal Vidhan Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size17 MB
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