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________________ =(सिद्ध चक्र हीं मंडल विधान - .. तेज प्राप्त हुआ करता है, जिसका कि यहा भुजंगप्रयातछन्द के द्वारा वर्णन किया गया है ॥१॥ इस प्रकार चन्द्रसेन के द्वारा जिस अत्यन्त रसाल-रसवती उत्तम जय माला का वर्णन किया गया. है उसको जो पढेंगे, पदावेंगे, या अपने मन में धारण करेगे वे मनुष्य सिद्धि सुखको प्राप्त करेंगे ॥१०॥ अथ द्वितीय परिधिषोडशदलपूजा ऊर्ध्वाधारयुतं सविन्दु सपरं ब्रह्मस्वरावेष्टितम् । वर्गापूरितदिग्गताम्बुजदलं तत्सन्धितत्वान्वितम् ॥ अन्तः पत्रतटेष्वनाहतयुतं हींकारसंवेष्टितम् । देवं ध्यायति यः समुक्तिसुभगो वैरीभकएठीरवः ।। पुष्पाजलिम् अथ स्थापना निरस्तकर्मसम्बन्धं सूक्ष्म 'नित्यं निरामयं । वन्देऽहं परमात्मानममूर्तमनुपद्रवम् ॥ १ ॥
SR No.010543
Book TitleSiddhachakra Mandal Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages191
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size15 MB
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