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________________ ११० अष्टम अनर्थदंग विरमण व्रत. ने उन्मत्त थशे, ने लोकोने मारशे, ए माटे एने पलोटो, श्रने उतावलथी खासी करावो, पोताना मालने शा माटे बगाडो बो ? हमणां एने नहीं पलोटो तो, पनी ए जूतमां जूपशे नहीं. अने फेरवशो तो चमक मटी जशे. नाथ्या विना तो चालेज नहीं, ते माटे नाथवो तो पहेलोज जोश्ये. एवो पापोपदेश करे. वली कहे के, आ घोडीनो वबेरो महोटो थर जायचे. हवे एने फेरणीथी एटलेदोरीथी फेरववो जोये जेथी करी ए वजेरो,सारी चाल शीखे एने चोकडं, लगाम चढावो. हवे एना जपर काउडो विगेरे साज सांड्या करो.बांध्युने वांध्युं राखवाथी जानवर खराब थर जायजे. तथा वली एम कहे के, वरसादना दिवस आव्याने माटे आपणा खेत्रमांथी गांठ, गुठ, घांस, खाडा विगेरे होय, ते कपावी नाखीने सुधारोके जेथी करी जमीन साफ थाय, अने वरसादk पाणी खेत्रमांज जरी जाय. पाणीएं पचीने जमीन तर थाय तो तेमां धान्य सारं नीपजे, वली वरसाद पण आव्यो, माटे घरनी मरामत करावो. ए घर जाजरं यश् गजुबे, माटे फरी बंधावो. आ वखतो. अने हंमणां मशालो मजुरी सो शस्ता थयांबे. हवे मूलथी नवी हवेली वनावो. ए वावत तमोने खवर न होय, तो मने पूबी लेजो. अमें जे मनसुवाथी कसु एवी तजवीजथी तमे पण वनावशो तो सर्व को जोश्ने आश्चर्य पामशे. एवो उपदेश देश्ने खोटां कर्म वांधे; तथा फरी वली एवं कहेके, नाइजी ! त मारी दीकरी तो घणी महोटी थश्. एनी फिकरमा तमे वो के नहीं? हवे विवाह करवा योग्य अश्वे. ए माटे तमारी पासे कोश न होयतो, मारी पासेंथी लियो, पण वीजा कोनुं करज करशो नहीं. जो करजें काढवा होय तो मने कहेजो, एटले मारी मात वरीथी तमोने कोश्नी पासेंथी अपावीश; परंतु तमारे था काम
SR No.010539
Book TitleSamyaktva Mul Bar Vratni Tip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdyotsagar Gani
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages201
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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