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________________ [२१] १२९ से १३६ १३७ से १३९ १४० से १६० १४०--१४१ १४२-१४३ १४४--१४५ १४५ से १४९ १४९ १५० शुद्धात्मा का मनन और पाखंडियों में अश्रद्धा ज्ञान और आचरण का अभ्यास सत्पात्रों को विवेकपूर्ण दान उत्तम पात्र-निग्रंथ साधु मध्यम पात्र-व्रती सम्यग्दृष्टि जघन्य पात्र-अव्रत सम्यग्दृष्टि पात्र-दान का फल कुपात्र कुपात्रदान का फल पात्रता और कुपात्रता में भेद मिथ्यादृष्टियों का दान रात्रिभोजन त्याग छने हुए जल का पान अशुद्ध कर्मों को छोड़कर, सम्यक् षटकर्मों का नियम से पालन अशुद्ध षट्कर्म सम्यषटकर्म सम्यग्देव पूजा गुरु उपासना स्वाध्याय संयम १५० से १५७ १५८ से १६० १६० से १६३ १६४ से १६५ १६५ से २०० १६६ से १७१ १७२ से १८२ १७२ से १८२ १८२ से १८४ १८५ से १९७ १९७-१९८ १९८ १९९-२०० तय दान
SR No.010538
Book TitleSamyak Achar Samyak Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Maharaj, Amrutlal
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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