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________________ जीवन की रूपरेखा [ ५ उनकी र विद्वान् उत्तरोत्तर अधिकाधिक आकर्षित होते जा रहे है । ऐसी स्थिति मे मुझे विचार आया कि हरिभद्र के दर्शन एवं योग विषयक ग्रन्थो मे ऐसी कौन-कौनसी विशेषताएं है जिनकी प्रोर अभ्यासियो का लक्ष्य विशेष जाना चाहिए ? इस विचार से मैने इस व्याख्यानमाला मे प्राचार्य हरिभद्र के विषय मे विचार करना पसन्द किया है और वह भी उनकी कतिपय विशिष्ट कृतियो को लेकर । वे कृतियाँ भी ऐसी होनी चाहिए जो समग्र भारतीय दर्शन एवं योग परम्परा के साथ संकलित हो । जिन कृतियो को लेकर मे इन व्याख्यानो मे चर्चा करना चाहता हू उनकी असाधारणता क्या है, यह तो आगे की चर्चा से स्पष्ट हो जायगा । मैने पाँचो व्याख्यान नीचे के क्रम मे देने का सोचा है - (१) पहले मे श्राचार्य हरिभद्र के जीवन की रूपरेखा । (२) दूसरे मे दर्शन एवं योग के सम्भावित उद्भवस्थान, उनका प्रसार, गुजरात के साथ उनका सम्बन्ध और उनके विकास में प्राचार्य हरिभद्र का स्थान । (३) तीसरे मे दार्शनिक परम्परा मे प्राचार्य हरिभद्र के नवीन प्रदान पर विचार | (४-५) चौथे और पाँचवे में योग- परम्परा मे आचार्य हरिभद्र के अर्पण का सविस्तार निरूपण । प्राचार्य हरिभद्र के जीवन एवं कार्य का सूचक तथा उनका वर्णन करने वाला साहित्य लगभग उनके समय से ही लिखा जाता रहा है और उसमे उत्तरोत्तर अभिवृद्धि भी होती रही है । प्राकृत, संस्कृत, गुजराती, हिन्दी, जर्मन और अग्रेजी आदि भाषा मे अनेक विद्वान् और लेखको ने उनके जीवन एव कार्य की चर्चा विस्तार से की है । वैसे साहित्य की एक सूचि श्रन्त मे एक परिशिष्ट के रूप मे देनी योग्य होगी । यहाँ तो इस साहित्य के ग्राधार पर प्रस्तुत प्रसंग के साथ खास आवश्यक प्रतीत होनेवाली बातो के विषय मे ही चर्चा की जायगी । विशेष जिज्ञासु परिशिष्ट मे उल्लिखित ग्रन्थ आदि को देखकर श्रधिक श्राकलन कर सकते है । जन्म-स्थान प्राचार्य हरिभद्र के जीवन के विषय मे जानकारी देने वाले ग्रन्थो मे सबसे अधिक प्राचीन समझा जानेवाला ग्रन्थ भद्रेश्वर की, अबतक प्रमुद्रित, 'कहावली' नाम की प्राकृत कृति है । इसका रचना समय निश्चित नही है, परन्तु इतिहासज्ञ विचारक 8 देखो पुस्तक के अन्त मे परिशिष्ट १
SR No.010537
Book TitleSamdarshi Acharya Haribhadra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay, Sukhlal Sanghavi, Shantilal M Jain
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages141
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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