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________________ - - समवाय ९०॥ सूत्र॥ हतुं. तेमां सो वर्ष न्यून नव हजार वर्ष सुधी राज्य कयु, वाकीना अग्यार सो वर्ष कुमारपणामां, मांडलिकपणामां अने साधुसमवायाङ्गपणामां जाणवा (३) । अहीं शांतिनाथ जिनेश्वरनी नेवाशी हजार साध्वीनी संपदा कही छे, परंतु आवश्यक सूत्रमा तो एकसठ हजार अने छ सो कही छे, ते मतांतर जाणवु (४)॥ सूत्र-८९॥ चोधू अंग हवे नेवुमुं स्थान कहे छ॥१८॥ मू०-सीयले णं अरहा नउइं धणूई उडं उच्चत्तेणं होत्था। १। अजियस्स णं अरहओ नउई गणा नउई गणहरा होत्था । २ । एवं संतिस्स वि।३। सयंभुस्स णं वासुदेवस्स णउइ वासाइं विजए होत्था ।४। सबेसि णं वद्दवेयड्डपबयाणं उवरिल्लाओ सिहरतलाओ सोगंधियकण्डस हेडिले चरमंते एस णं नउइ जोयणसयाई अबाहाए अंतरे पन्नत्ते । ५॥ सूत्रम्-९०॥ . मूलार्थः-श्रीशीतळनाथ अरिहंत नेवु धनुष ऊंचा हता (१)। श्रीअजितनाथ अरिहंतने नेवु गण अने नेवु गणधरो हता (२)। एज प्रमाणे श्रीशांतिनाथने पण नेवु गण अने नेवु गणधरो हता (३)। स्वयंभू वासुदेवे नेवु वर्ष सुधी दिग्विजय कर्यो हतो (४)। सर्वे वृत्तवैताढ्य पर्वतोना उपरना शिखरतळथी सौगंधिक कांडना हेठला चरमांत सुधी नेवु सो योजननुं अबाधाए आंतरं कर्तुं छे (५)॥ . टीकार्थ:--हवे नेवुमा स्थानक विषे काइक लखे छे-तेमां अजितनाथ अने शांतिनाथना नेवु गण अने नेवु गणधरो र८६
SR No.010536
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethalal Haribhai
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1939
Total Pages681
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size44 MB
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