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________________ दबावे छे ३, ए प्रमाणे चंद्र वृद्धि पामे छे अने हानि पामे छे. आ राहुना प्रभावे करीने चंद्रनी कृष्णता अथवा ज्योत्स्ना थाय छे ( देखाय छे ) ४." तथा तेमां ज कयुं छे के-" चंद्र पोताना मंडळना सोळ भाग करीने तेमांथी पंदर भाग (ज्योत्स्ना) हीन थाय छे, अने फरीथी तेटला ज (पंदर ) भाग तेनी ज्योत्स्ना वृद्धि पामे छे १." आ बन्ने वचनने अनुसारे एम अनुमान थाय छे के-चंद्रमंडळना नव सो ने एकत्रीश (९३१ ) भाग कल्पवा. तेमांथी एक भाग बाकी रहे छे ज. वाकीना अंशमांथी हमेशां वासठ बासठ भागे वृद्धि पामे छे, तेथी पंदरमे दिवसे चंद्रना ९३० अंशो एकठा (उघाडा) थाय छ, अने फरीथी ते ज प्रमाणे हानि पामे छे, तेथी पंदरमे दिवसे ९३० अंश रोकातां एक अंश अवशेष रहे छे. बे वचनना सामर्थ्यथी आ व्याख्यान (अर्थ) प्राप्त थयु छे, परंतु जीवाभिगम सूत्रने विपे तो बावडिं०' अने । 'पन्नरसति(य)भागेण ' आ वे गाथानी व्याख्या आ प्रमाणे करी छे-“वावडिं-बासठ बासठ भाग एटले दिवसे | दिवसे-प्रतिदिवस शुक्लपक्षमां चंद्र जे कांइक अधिक चार वासठीआ भाग वृद्धि पामे छे अने कृष्णपक्षमा तेटलो क्षय पामे छे, | ते केटले काळे १ ते बतावे छे-'पन्नरस-पंदर दिवसे एटले के चंद्र विमानना बासठ भाग करवा, ते बासठने पंदरवडे भांगवा. तेम करवाथी पंदरमे भागे काइक अधिक चार बासठीया भाग पमाय छे. तेथी कयुं छे के उपर कह्या प्रमाणे पंदरमा भागे चंद्रने आश्रीने राहुनुं विमान पंदर दिवस सुधी चाले छे अने ते ज प्रमाणे अपक्रमे छे-मूके छे. एम पण भावना करवी." अहीं अमोए जेवु (ग्रंथोमां ) देख्युं तेवु लख्युं छे तथा तेनो समन्वय कयों छे. तेनो साचो निर्णय बहुश्रुतोए करवो.
SR No.010536
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethalal Haribhai
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1939
Total Pages681
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size44 MB
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