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________________ भवने ग्रहण करवावडे सिद्ध थशे, बुद्ध थशे, मुक्त थशे, परिनिर्वाण पामशे, अर्थात् सर्व दुःखनो अंत करशे (३)॥ ____टीकार्थः-त्रेवीशमुं स्थानक सुगम ज छे. विशेष ए के-स्थितिनां सूत्रोनी पहेलां चार सूत्रो आपेला छे. तेमां सूत्रकृतांगना पहेला श्रुतस्कंधमां सोळ अध्ययनो छे अने बीजा श्रुतस्कंधमां सात अध्ययनो छे. (कुल २३ छे.) तेमनो अन्वर्थ (सार्थक अर्थ ) तेमना नाम उपरथी ज जाणी शकाय तेवो छ (१) ॥ इति सूत्र-२३॥ M . हवे चोवीश स्थानक कहे छ मू०-चउव्वीसं देवाहिदेवा पन्नत्ता, तं जहा-उसभ १, अजित २, संभव ३, अभिनंदण ४, : सुमइ ५, पउमप्पह ६, सुपास ७, चंदप्पह ८, सुविधि ९, सीअल १०, सिज्जंस ११, वासुपुज IN|| १२, विमल १३, अणंत १४, धम्म १५, संति १६, कुंथु १७, अर १८, मल्ली १९, मुणिसुवय २०, नमि २१, नेमी २२, पास २३, वद्धमाणा २४।१ । चुल्लहिमवंतसिहरीणं वासहरपवयाणं जीवाओ चउव्वीसं चउव्वीसं जोयणसहस्साइं णवबत्तीसे जोयणसए एगं अट्ठत्तीसइभागं जोयणस्स किंचि । विसेसाहिआओ आयामेणं पन्नत्ता । २। चउवीसं देवठाणा सइंदया पन्नत्ता, सेसा अहमिंदा अनिंदा अपुरोहिआ।३। उत्तरायणगते णं सूरिए चउवीसंगुलिए पोरिसीछायं णिव्वत्तइत्ता णं
SR No.010536
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethalal Haribhai
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1939
Total Pages681
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size44 MB
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