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________________ महावीर हनुमान और तीर्थंकर वर्द्धमान महावीर । (ले० श्री० कुमार वीरेन्द्रप्रसादजी जैन, अलीगज) घीरशिरोमाण, युपपुरुष भगवान् महावीर बर्द्धमान और पवन-पुत्र महावीर हनुमानको कति पप व्यक्ति एक बताते हैं, किन्तु उनकी यह धारणा भ्रान्त और निराधार है, क्योंकि हनुमानजी प्राग-ऐतिहासिक कालके महापुरुष थे । वह रामचन्द्रनीके समयमैं अवतरित हुये थे एवं उन्होंने रामचन्द्रजीके सायही जीवनका अधिक समय व्यतीत किया था। पवनजय और अजनाके सुपुत्र हनुमानजी अपने अतुल शारीरिक बलके कारण महावीर नामसे प्रसिद्ध हुए. वह विद्याधर वानर बशी नरेश ये. कुछ लोग उन्हें वानर (पशु) कहते हैं, पर वास्तवमें वह मानवजातिके महापुरुष थे। जैनी उनको कामदेव बताते है. जैन शास्त्रोंमें उनका विशद् वर्णन हैं, उनके मतानुसार हनुमानजीने मन्तमें जैन मुनिकी दीक्षा ली तथा कठोर धर्मसाधना करके कर्म रिपुओंको मार भगाया और मोक्ष सिवारे, किन्तु भगवान महावीर आजसे २४७५, वर्षपूर्व इस पुण्यभूमि पर अवतरित हुए थे | और वे ऐतिहासिक युगके महापुरुष थे ! ! जैन तीर्थंकरोंमें वह अन्तिम थे। आजभी इतिहासके अन्तर्गत् इन जैन तीर्थंकरोंका असितत्व सिद्ध है, इसमें सदेहके हेतु स्थान नहीं, क्योंकि आजमी दो हजार वर्षसे पूर्वी ऋयमादिक तीर्थंकरोंकी मूर्तियाँ प्राप्य हैं. इससे प्रमाणित है कि वे कोई महान् पुरुष, युगपुरुष पथ प्रदर्शकही थे, जिन्होंने पथ भृष्टपथिककी नाई मारे मारे फिरते हुये आत्मोद्धार चाहनेवाले भव्य जीवोंको सन्चा मोक्ष-पथ प्रदर्शित किया था और महान् तीर्थकी स्थापना कीथी। इस महती उपकारकी स्मृतिस उनकी मूर्तियां बनाई गई है. चौवीसवें तीर्थंकर म. महावीरके विषयमें तो यह निर्विवादही सत्य है कि वे बुद्धके समकालीन युगवीर महापुरुष थे, महावीर वर्तमान लोककी विभूति थे. ___ कहनेकी आवश्यकता नहीं कि वीरका लोककल्याण और सार्वहितका कार्य इतना प्रभावशाली था. कि सारा प्रमाण्ड उनके सामने नतमस्तक हुआ था. विश्व कवि रवीन्द्रनाथजीने कहाथा, कि महावीरफे उपदेशसे प्रभावित होकर सब मानव एक हुये. सबने उनकी पावन स्मृति सुरक्षित रखनेका उयोग किपा । वमी लोगोंने एक सम्पत् चलाया जो आजमी 'वीर-निर्वाण सम्बत् के रुपमें प्रचारित है, म्य. मम. श्री हीराचन्द्र गौरीकरजी ओझाको अजमेर प्रान्तके वारली नामक स्थानसे एक शिला प्रान हुआ था, जिसके अन्तर्गत वार निर्वाणके ८४ वर्षके पथात राजपूताना राज्यकी दमका नगरीमें कोई मम्य मयन बनाए जानेका उल्लेख है. आधुनिक अन्वेपक वीर निर्वाणको चामे ५२७ वर्ष पूर्व प्रारम हुआ मानते है. उय या शिलालेख २३९२ वर्ष पुराना है. उसमें म. महापारको महावार माना है. इस म. महावीर ऐतिहासिक महापुरुष सिद्ध हुए.
SR No.010530
Book TitleMahavira Smruti Granth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain, Others
PublisherMahavir Jain Society Agra
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size9 MB
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