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* श्री लॅबेचू समाजका इतिहास * इसो ले समाजो जु सुसंघपति धाये । मनो साज फौजें नृपति कोई आये ।।
दोहा कंकन प्राणनाथ कर, बांधो शुभ दिन साधि । भूप भदावर देश पर, चले नगाड़ी बांधि ॥
छन्द चले साजि वाने चहुँ चक्र जाने दियेछान मारी हृदय हर्षधारी ।। महा मर्द पूरे जुरे युद्ध सूरे करै दानवीके हरै दुःख जीके ।
दोहा भूप भदावर देशमें, पहुंचे संघ पति जाय । उत समाज सजि चौधरी, लेने जु आये धाय ॥ विदित वीर वर वंश सुत, हरिवंशीय बखान । लेन बारात अलोल मणि, आयो साज निसान ।
भुजंग प्रभात छन्द आयो साज दिन दान सेना जु लीने । सजे वेद मनि तासु भूता प्रवीने ।।