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________________ ४०० * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * भोसलोंका राज्य रहा हैं भोसले मरहठा थे। महाराष्ट्रका अपभ्रंश है। राष्ट्रकूटका राठोर और महा शब्द उत्तमताके दिया, ये भी चौहानोंसे ही हो सकते हैं क्योंकि राजा अमोघ वर्ष चोहाना में हुए और प्रथम कृष्ण द्वितीय कृष्ण प्रथम गोविन्द दुर्गदन्त आदि मरहठाऔंकी वंशावलीमें हुए ऐसा पुराने सिद्धान्त भाष्करमें है। ___पुराने जैन सिद्धान्त भाष्करमें लिखा है कि महाराज इन्द्र तृतीयके ८३७ शकके तासरीके दानपत्रमें लिखा है कि राष्ट्रकूट वंश सोमवंशके यदुवंशी है और इनका गोत्र सात्यकी है। राष्ट्रकूटका अपभ्रंश राठोर और महाशब्द विशेषण लगानेसे महाराष्ट्र हुआ क्योंकि इन्द्र प्रथमके प्रथम गोविन्द और इन्द्र द्वितीयक दन्ति दुर्ग हुए । शकः ६७४ और तृतीय गाविन्दक अमोघ वर्ष शकः ७३६।७६६ तक राज्य इन्हींसे राष्ट्रकूट वंशक प्रधान और संस्थापक वीरश्रेष्ठ महाराज दन्तिदुर्ग जिनकी उपाधि वल्लभराज पृथ्वीवल्लभी महाराजाधिराज परमेश्वर और परम भट्टारक थी और इनका राज्य बीजापुर कोल्हापुर आदिमें था फिर इन्होंने चालकाञ्ची पाण्ड्य हर्षवञ्जर आदि भी हस्तगत किये इसी
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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